साभार/ मुंबई। ध्वनि प्रदूषण मामले में दायर प्राथमिकी में मुंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुंबई पुलिस को लताड़ लगाई। कोर्ट ने पूछा कि ध्वनि प्रदूषण के मामले में दायर प्राथमिकी (एफआईआर) में शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे का नाम क्यों नहीं है? शिंदे को ही उस आयोजन के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है जिसमें ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों का कथित उल्लंघन हुआ था।
कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि शिंदे इस कार्यक्रम के आयोजक थे तो उनका नाम एफआईआर में क्यों नहीं है। कोर्ट ने सांसद से भी इस विषय में अपना पक्ष रखने को कहा है। मामला ठाणे जिले का है जिसमें पिछले साल मई में अंबरनाथ में एक समारोह में ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों का कथित उल्लंघन हुआ था। लेकिन इस संबंध में दर्ज प्राथमिकी में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की वे धाराएं नहीं लगाई गईं, जिन्हें ज्यादा कठोर माना जाता है। साथ ही प्राथमिकी में समारोह के आयोजक शिंदे का नाम डाला गया।
पुलिस ने केवल ध्वनि प्रदूषण नियम का कुछ लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया। इस मामले में अधिकतम सजा 200 रुपया जुर्माने की है। बुधवार को न्यायाधीश एएस ओक और रियाज छागला ने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि पुलिस को इस तरह के मामलों को दर्ज करने की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘हम पुलिस को आदेश और निर्देश देते रहते हैं, लेकिन पुलिस इस तरह से काम करती है कि वास्तविक दोषियों को बचा लेती है।’
समारोह की प्रचार सामग्री में साफ-साफ लिखा था कि समारोह का आयोजक श्रीकांत शिंदे है। तब उसका नाम एफआईआर में क्यों नहीं है? ‘हम मानते हैं कि यही वह समय है जब सरकार अपना रुख साफ करे।’ लगता है कि सरकार ध्वनि प्रदूषण संबंधी नियमों का कड़ाई से पालन करने में रुचि नहीं रखती है। इस मामले पर सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
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