डिजिटल इंडिया की बली चढ़ी संतोषी

आधार-राशन कार्ड के चक्कर में भूख से तड़प-तड़प कर हुई मौत

झारखंड। सिमडेगा जिले के करीमती गांव में संतोषी कुमारी नामक 11 वर्षीय छात्रा की भूख से तड़प-तड़प कर मौत हो गई। इस मामले का खुलासा खाद्य सुरक्षा को लेकर काम करने वाली एक संस्था ने किया है। हालांकि भूख से तड़प रहे इस परिवार के लोगों ने वार्ड के पार्षद और मुखिया सहित कई लोगों से मदद की गुहार लगाई थी। इसके बाद भी कहीं से मदद नहीं मिलने पर बच्ची की मां कोयला देवी ने कई दिनों तक जंगलों में उगे पेचकी साग, गेठी, भाजी साग और करैला आदि खाकर दिन निकाले।

खबर के मुताबिक संतोषी की मौत के बाद झारखंड सरकार को अपने डिजिटल इंडिया में खामी का एहसास हुआ। इसके बाद राज्य के खाद्य और आपूर्ति मंत्री सरयु राय ने कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी। मंत्री का कहना है कि इस बात को पहले ही स्पष्ठ कर दिया गया था कि राशन कार्ड को आधार से लिंक न करने वालों को भी राशन की सुविधा दी जाएगी।

इसके बावजूद स्थानीय राशन के डीलर ने राशन कार्ड आधार नंबर से लिंक नहीं होने की बात कहकर कोइली देवी परिवार का कार्ड रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं वह पिछले तीन महीनों से इस परिवार को राशन भी नहीं देता था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि मंत्री जी के आदेश का पालन डीलर ने नहीं किया। जनवृत के ऐसे डीलरों की दुकानों रद्द कर देना चाहिए। वहीं सवाल यह भी उठता है कि डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया का राग अलापने वाली सरकार महज अपने जुमले बाजी पर टिकी है।

बता दें कि संतोषी कुमारी की तड़प-तड़प कर मरने के मामले का खुलासा गैर सरकारी संस्था द्वारा किया गया है। अगर इसकी छान बीन की जाए तो ऐसे दर्जनों मामले सामने आ सकते हैं। बताजा जाता है कि काला बाजारी करने वाला राशन डीलर इस परिवार को पब्लिक ड्रिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) स्कीम के तहत लगभग पिछले सात महीनों से राशन नहीं दे रहा था।

लड़की की मां कोयली देवी का कहना है कि जब मैं चावल लेने सेंटर गई तो राशन कार्ड के आधार से लिंक न होने की बात कहकर मुझे राशन देने से मना कर दिया गया और मेरी बेटी ‘भात-भात’ कहते हुए मर गई। संस्था के मुताबिक, बीते 28 सितंबर को संतोषी की मौत इसलिए हो गई, क्योंकि उसके घर पर पिछले आठ दिन से अनाज नहीं था।

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