पटना में पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला का शुभारंभ

अमूल्य कला और हस्तशिल्प के विरासत से अवगत कराएगा यह कार्यशाला-रचना पाटिल

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार तथा बिहार ललित कला अकादमी पटना के संयुक्त तत्वावधान में पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला का 30 मई को शुभारंभ किया गया।

बिहार की राजधानी पटना के फ्रेजर रोड स्थित बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर, भारतीय नृत्य कला मंदिर स्थित कला दीर्घा में आयोजित पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला का उद्घाटन बिहार सरकार के पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय एवं कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की निदेशक रचना पाटिल, निदेशक, सांस्कृतिक कार्य, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग रुबी, सचिव, बिहार ललित कला अकादमी सुशांत कुमार तथा जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह द्वारा द्वीप प्रज्वलन कर किया गया।

ज्ञात हो कि, उक्त कार्यशाला का उद्देश्य पारंपरिक कलाओं एवं हस्तशिल्प के प्रति जन-जागरूकता उत्पन्न करना तथा युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें संरक्षण, संवर्धन और रचनात्मकता की दिशा में प्रेरित करना है। कार्यशाला का उद्घाटन के अवसर पर मंच पर बिहार ललित कला अकादमी के सचिव सुशांत कुमार द्वारा सबको पौधा देकर स्वागत किया गया। उपस्थित बच्चों और उनके अभिभावकों को संबोधित करते हुए निदेशक रचना पाटिल ने कहा कि यह ऐसा अवसर है जब बच्चें अपनी रुचि को जानेंगे।

उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला बच्चों को बिहार के अमूल्य कला और हस्तशिल्प के विरासत से अवगत कराएगा। कहा कि हमें अपनी अमूल्य ज्ञान और रचना को अगली पीढ़ी तक पहुंचना है, जिसमें यह कार्यशाला महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।

बच्चों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब आप 15 दिवसीय कार्यशाला के बाद अपने घर जाएंगे तो उम्मीद है अपने मम्मी-पापा से जिद करेंगे कि आपको इस कला के क्षेत्र में और आगे बढ़ाने में मदद करें। उन्होंने कहा कि ग्रीष्मकालीन अवकाश में अभिभावकों के मन में होता है कि बच्चें कुछ अलग सीखे और करे। यह कार्यशाला ऐसे बच्चों के लिए वरदान साबित होगी, जिसमें सीखने की चाहत है।

अभिभावकों को भी बच्चों को कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय बहुत तेजी से बदला है। वर्तमान में अपनी पसंद को करियर बनाने में कोई मुश्किल नहीं है। इस कार्यशाला के बाद हो सकता है कि आप सभी में से बहुत सारे अपने करियर के रूप में इन विधाओं को चुनें। अंत में उन्होंने विभाग के मंत्री और सचिव के नेतृत्व की सराहना की और जोर देकर कहा की इनके देखरेख में विभाग भविष्य में भी ऐसे रचनात्मक कार्य करता रहेगा।

कार्यशाला के प्रथम दिवस कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिक कार्य, कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के निदेशक रुबी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सबकी गरिमामयी उपस्थिति और धैर्य पूर्वक सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। खास कर उन्होंने रचना के प्रति आभार व्यक्त किया जिनकी एक्टिव इंवॉल्वमेंट के कारण सबको ऊर्जा और प्रेरणा मिलती है।
इस अवसर पर बताया गया कि कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को वेणु शिल्प, मधुबनी पेंटिंग, टिकुली कला एवं टेराकोटा जैसी पारंपरिक कलाओं में विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। गौरतलब है कि पंद्रह दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला जागृति कार्यशाला का कार्यक्रम सुशांत कुमार, सचिव बिहार ललित कला अकादमी के देखरेख और नेतृत्व में संचालित होगा।

उन्होंने जानकारी दी कि लगभग 500 के आसपास प्रतिभागियों के फॉर्म आए थे। जिसमें हर विधा के लिए 30-30 कैंडिडेट को शॉर्टलिस्ट करके लिया गया है। फिर भी कुछ ऐसे बच्चे भी यहां आए है जिनका पहले आओ, पहले पाओ के तहत नाम शॉर्टलिस्ट नहीं हो पाया है। कहा कि निदेशक रचना पाटिल ने निर्देश दिया है कि हम सीट बढ़ा कर सबको एडजस्ट करें, ताकि कोई बच्चा मायूस होकर न लौटे। उनके लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को विभाग के तरफ से प्रयोग में आने वाली सारी सामग्री भी नि:शुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है।

कार्यक्रम में मंच संचालन वीरेंद्र ने किया। उक्त कार्यशाला 30 मई से आगामी 13 जून तक प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से अपराह्न 3:30 बजे तक चलेगा। कार्यक्रम को बड़ी संख्या में उपस्थित बच्चें, अभिभावक और शिक्षकों ने गरिमा प्रदान की।

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