अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। मौनी अमावस्या के अवसर पर 29 जनवरी को सारण जिला के हद में बहनेवाली गंगा-गंडक एवं सरयू नदियों के पावन जल में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई।
इस अवसर पर मठ-मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा पूजा-अर्चना की गयी। साथ हीं विभिन्न मंदिरों में भजन-कीर्तन का दौर भी चला। इस अवसर पर मौनी अमावस्या व्रत की महिमा का बखान करते हुए बाबा हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सुशील चंद्र शास्त्री ने कहा कि आज का पवित्र दिन आंतरिक आवाज को सुनने और मन को शांत रखने का अवसर है। इस दिन मौन रहकर स्नान और दान करने से व्यक्ति को मानसिक शांति की प्राप्ति होती हैं। इतना ही नहीं, मौन व्रत का नियम पूर्वक पालन करने से वाणी का नियंत्रण और ऊर्जा का संरक्षण होता है।
उन्होंने बताया कि सनातन धर्म में माघ मास का विशेष महत्व है।आपको बता दें कि मौनी अमावस्या पर भक्तों ने गंगा – नारायणी, सरयू समेत विभिन्न पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई और बाबा हरिहरनाथ, श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम, सूर्य मंदिर, शनि मंदिर, काली मंदिर, उमा-महेश्वर मंदिर, खाक चौक ठाकुरबाड़ी, आपरूपी गौरीशंकर मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में जाकर देवी -देवताओं की पूजा- अर्चना की।
सूर्य एवं शनि मंदिर के पुजारी अनिल झा ने बताया कि इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ लगने से मौनी अमावस्या का विशेष महत्व बढ़ गया है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का भी विधान है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से व्यक्ति को पितृ – दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दु:ख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
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