एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड में पिछले आठ साल में एक भी परीक्षा पारदर्शिता के साथ लेने में नाकाम रही है भाजपा और झामुमो की सरकार। हेमंत सरकार जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा को अविलंब रद्द करे, अन्यथा आंदोलन किया जायेगा।
उपरोक्त बाते 25 सितंबर को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने 25 सितंबर को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही।
बीते 21 एवं 22 सितंबर को झारखंड में संपन्न जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा पर विवाद गहराने पर अपनी प्रतिक्रिया में नायक ने उक्त बातें कही है। उन्होंने बताया कि बीते 21 और 22 सितंबर को आयोजित जेएसएससी सीजीएल की परीक्षा में फिर एक बार व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की बात सामने आयी है।
उन्होंने कहा कि बीते 22 सितंबर को आयोजित परीक्षा के पेपर तीन में गणित, रिजनिंग और कंप्यूटर के सभी 60 प्रश्न पूर्व के परीक्षा से रिपीट कर दिया गया है। गणित विषय के सभी 20 प्रश्न के जगह पर एसएससी सीजीएल वर्ष 2022 के प्रश्न सभी 20 प्रश्नों को रिपीट कर दिया गया है।
जिससे लगता है कि परीक्षार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर उनके भविष्य को अंधकारमय करने का बार बार षड्यंत्र रचा जा रहा है। यह राज्य के लाखो बेरोजगार, शिक्षित युवाओ के लिए शुभ संकेत नही है।
विज्ञप्ति में नायक ने कहा है कि भाजपा नीत रघुवर सरकार और झामुमो नीत हेमंत सरकार दोनों ने पिछले आठ साल में एक परीक्षा पारदर्शी ढंग से लेने में नाकामयाब रही है। सिर्फ छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का कार्य किया गया है।
उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग किया है कि वे तत्काल परीक्षा रद्द करें और आयोग को भंग कर परीक्षा कराने वाले एजेन्सी को भी हटाए। साथ हीं दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो, जिससे फेयर परीक्षा के नीव को झारखंड में स्थापित की जा सके तथा पुरानी परम्परा को समाप्त किया जा सके।
नायक ने कहा कि अगर जेएसएससी-सीजीएल की परीक्षा में गड़बड़ी को सुधारने की दिशा मे अविलंब कारवाई नहीं की गई और रांची, धनबाद सहित कई परीक्षा केंद्र में बाहर के छात्रों को पहले ही आंसर देने के आरोपों की जांच नहीं करायी गई एवं परीक्षा रद्द नहीं किया गया तो आंदोलन किया जायेगा।
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