डीलरों का हड़ताल समाप्त कर गरीबों को तत्काल राशन दें सरकार-माले

गरीब-दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा-ठेला चालक भूखे रहने को मजबूर-सुरेन्द्र
एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। कोरोना के कारण राज्य में लागू लाकडाउन का करीब 12 दिन बीतने को है। लाकडाउन से गरीब तबके खासकर दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा-खोमचा-ठेला चालक, फूटपाथी दुकानदार आदि के समक्ष भुखमरी की समस्या आन पड़ी है। उन्हें काम भी नहीं मिल रहा है और न कोई अन्य सहायता।
केंद्र एवं राज्य सरकार (State Government) मई मेंं 5-5 किलो, कुल 10 किलो प्रति यूनिट नि:शुल्क राशन देने की घोषणा की थी। राशन का वितरण 5 मई से होना था लेकिन 5 मई से ही तमाम डीलर अपनी मांगों को लेकर राज्यव्यापी हड़ताल पर चले गये। फलतः राशन वितरण शुरू भी नहीं हो पाया। ऐसे में राशन के अभाव में गरीबों की बड़ी आबादी भूखे रहने का मजबूर है। घर में जमा राशि- राशन बीते वर्ष के लाकडाउन में वे खर्च कर चुके हैं। यहाँ तक की अब उन्हें गांव- घर, पास- पड़ोस में महाजनी कर्ज भी नहीं मिल रहा है। बाबजूद इसके भाजपा- जदयू की सरकार चिर निद्रा में सोई हुई है। सरकार को जगाने के लिए भाकपा माले आंदोलन शुरू करेगी।
विभिन्न क्षेत्रों से आ रही शिकायत के मद्देनजर इस आशय की जानकारी 16 मई को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले समस्तीपुर जिला स्थाई समिति सदस्य सह माले, आइसा, इनौस, ऐपवा द्वारा आहूत जिला स्तरीय कोरोना हेल्पलाइन सेंटर, विवेक-विहार, समस्तीपुर के संचालक सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा है कि सरकारी गोदाम राशन से भरे पड़े हैं और गरीब भूखे रहने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के इस भीषण दौर में भी डीलरों का हड़ताल एवं इस पर सरकारी चुप्पी सरकार की बेशर्मी को दर्शाता है। यह गरीबों के खिलाफ सरकारी मजाक है। माले नेता ने डीलरों के जायज मांगों को मानकर अविलंब हड़ताल तोड़वाने, युद्ध स्तर पर गरीबों के बीच राशन वितरण करने समेत गेहूं- चावल के साथ दाल- सरसों तेल, नगद राशि आदि की भी आपूर्ति करने की मांग की है।

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