बिना पुनर्वसन के तोड़क कार्रवाई
विशेष संवाददाता/ मुंबई। माहूल में स्थित म्हाडा कॉलोनीवासियों के मुद्दे पर पिछले सप्ताह महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर, म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत और मनपा आयुक्त अजोय मेहता की विशेष बैठक हुई। इस बैठक में सबंधित विभागों के अधिकारियों को भी बुलाया गया था। यहां सर्व सम्मति से यह फैसला लिया गया कि मुंबई की विभिन्न परियोजनाओं के प्रभावितों को माहुल म्हाडा से हटाकर गोराई और गोरेगांव में पुनः पुनर्वास कराया जाएगा।
लेकिन मौजूदा समय मे मनपा एम पश्चिम के वॉर्ड 155 वाशीनाका स्थित इस्लामपुरा व शरदनगर के झोपड़ाधारकों को बिना आवास दिये जबरन अधिकारियों द्वारा माहुल के म्हाडा कॉलोनी भेजने की बात सामने आई है। अब अवासों का आवंटन ऑन लाईन प्रक्रिया से की जाएगी। मनपा कर्मियों कि इस कार्रवाई से साफ होता है कि वे महापौर, मनपा आयुक्त और म्हाडा के अध्यक्ष की नहीं सुनते।
मिली जानकारी के अनुसार 24 फरवरी को 7 लोगों माहुल के म्हाडा कॉलोनी के फ्लैटों की चाभी जबरन दी गई थी। इसके साथ ही 27 फरवरी को वाशीनाका के इस्लामपुरा व शरदनगर के कई लोगों को झोपड़ा खाली करने का फरमान भी जारी किया गया था। यहां के निवासियों व दुकानदारों को बिना पुनर्वसन कराये ही बुधवार 27 फरवरी की दोपहर से तोड़क कार्रवाई शुरू कर दी गई। बता दें कि भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच नाले का चौड़ीकरण के नाम पर कई मकान व सामने की दुकानों को मनपा के तोड़ू दस्ते ने ध्वस्त कर दिया है। जबकि पिछले सप्ताह महापौर और दोनों अध्यक्ष ने जनता को राहत देते हुए परियोजना प्रभावितों को गोराई और गोरेगांव में पुनर्वसन कराने की बात कही थी।
गौरतलब है कि वाशीनाका स्थित इस्लामपुरा व शरदनगर के निवासियों ने मनपा एम पश्चिम में आवेदन दिया है कि मौजूदा समय में 10वीं और 12वीं कि परीक्षा चल रही है। यहां के नागरीकों ने मनपा आयुक्त से गुहार लगाई थी की किसी का बच्चा दसवीं तो किसी का बारहवीं की परीक्षा दे रहा है। इस लिहाज से हमें कुछ मोहलत दी जाए और हम लोगों को आस-पास में ही रहने की जगह दी जाए ताकि हमारे बच्चे समय पर परीक्षा स्थल पर पहुंच सकें।
लेकिन मनपा के अधिकारियों ने किसी की नहीं सुनी और तोड़क करवाई शुरू कर दी। यहां घर के बदले घर देने की बात आई तो मनपा के अधिकारियों ने नया जुमला शुरू किया है कि अब ऑन लाईन ही म्हाडा के माहुल में घर दिया जाएगा। इस मुद्दे पर महापौर से बात करने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल मैं मुंबई से बाहर हुं, इसके बावजूद उन्होंने कहा की मैं इस मामले को देखता हुं।
उल्लेखनीय है कि वाशीनाका के इस्लामपुरा और शरदनगर का विकास करने कि जिम्मेदारी चरिश्मा बिल्डर ने ली थी। लेकिन वर्ष 2006 से अब तक बिल्डर द्वारा आज कल का झांसा दिया जा रहा है। 2006 से चल रहे इस मामले में चरिश्मा बिल्डर द्वारा करीब दो साल पहले मनपा को भी पत्र दिया गया था। अब बिल्डर अपने वादे से मुकर रहा है। ऐसे में मनपा के अधिकारियों द्वारा झोपड़पट्टी की गरीब जनता को जबरन माहुल भेजने की बात की जा रही है।
महापौर, मनपा आयुक्त और म्हाडा अध्यक्ष की नहीं सुनते मनपा के अधिकारी
यहां सवाल यह उठता है कि एक तरफ माहुल के म्हाडावासियों को यहां से हटाने की बात चल रही है वहीं दूसरी तरफ मनपा के अधिकारी लोगों को माहुल भेजने पर तुले हुए हैं। जबकि महापौर विश्वनाथ महाडेश्वर, म्हाडा अध्यक्ष उदय सामंत और मनपा आयुक्त अजोय मेहता ने वाशीनाका के लोगो को स्वच्छ जीवन देने पर विचार कर रहे है। लेकिन मनपा के अधिकारी उसकी उल्ट करते जा रहे हैं। इससे सवाल उठने लगा है कि महापौर और दोनों अध्यक्षों के आदेशों को मनपा एम पश्चिम के अधिकारी नहीं मानते। यहां बताना चाहता हुं की करीब दो साल पहले मानसून के दौरान भी नाले के चौड़ीकरण को लेकर झोपड़ों को तोड़ने का मामला गर्माया था।
उस समय चरिश्मा बिल्डर ने मनपा एम पश्चिम के अभियंता कासगीकर को लिखित रूप से दिया था कि इस्लामपुरा और शरदनगर के नाले के प्रभावितों का पुनर्वसन कराने की जिम्मेदारी हमारी है। बिल्डर द्वारा लिखत पत्र मिलने के बाद मनपा एम पश्चिम के अधिकारी मान गए थे। लेकिन अब वही अधिकारी बिल्डर के पत्र को मानने को तैयार नहीं हैं। इससे साफ होता है कि मनपा के अधिकारी बिल्डर के हाथ की कठपुतली बन गए हैं। इस कड़ी में एक और दिलचस्प बात यह है कि प्रशासनिक तौर पर चरिश्मा बिल्डर से यह पूछना चाहिए की वर्ष 2006 से अब तक उसने विकास क्यों नहीं किया।
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