चार दिवसीय हरिहरक्षेत्र मेला कलश यात्रा सह महायज्ञ का शुभारंभ आज

संध्या काल देव दीपावली व रात्रि में तुलसी विवाह का होगा आयोजन 

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर में लगने वाले विश्व प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला के अवसर पर देवोत्थान एकादशी 12 नवंबर से कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर तक चलने वाले चार दिवसीय हरिहरक्षेत्र मेला कलश यात्रा सह श्रीमहालक्ष्मी नारायण महायज्ञ का शुभारंभ देवोत्थान एकादशी 12 नवम्बर को होगा। इसके साथ ही परंपरागत रुप से गैर सरकारी तौर पर आध्यत्मिक दृष्टि से हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला आरंभ हो जायेगा।

ज्ञात हो कि, देवोत्थान एकादशी की रात में ही श्रीतुलसी विवाह महोत्सव संपन्न होगा। आगामी 15 नवंबर कार्तिक पूर्णिमा को महायज्ञ की पूर्णाहुति एवं भंडारा होगा। संध्या बेला में इसी दिन देव दीपावली का आयोजन भी संपन्न होगा।
इस संबंध में नौलखा मंदिर के व्यवस्थापक बाबा नन्द कुमार राय ने बताया कि हरिहरक्षेत्र श्रीगजेन्द्र मोक्ष देव स्थानम दिव्य देश पीठाधिश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में भव्य कलश यात्रा निकलेगा।

जिसमें बड़ी संख्या में संत, महंत, ग्रामीण भक्त और मेलार्थी के साथ-साथ भक्ति से सराबोर महिलाएं मस्तक पर कलश धारण कर यात्रा में शामिल होंगी। उन्होंने बताया कि चातुर्मास की समाप्ति के साथ ही 11 नवंबर की संध्या में देवोत्थान एकादशी आरंभ हो गया।लेकिन उदया तिथि की दृष्टि से देवोत्थान एकादशी का स्नान एवं पर्व 12 नवंबर को मनाया जायेगा।

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पवित्र तिथि को किए गए धर्मार्थ कार्यों से साधकों को 1000 अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल मिलता है।सूर्योदय के समय स्नान कर भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों जैसे ऊँ विष्णुवे नम:, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:, ऊँ नारायणाय नम:, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय आदि का जाप करने से भगवान विष्णु मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। मां लक्ष्मी भी धन की वर्षा करती हैं। अगर एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें तो विशेष फल की प्राप्ति होती है।

चातुर्मास की समाप्ति होते हरिहर क्षेत्र सोनपुर के मठ-मंदिर जीवंत हो गए। धर्म ग्रन्थों के अनुसार भगवान श्रीहरि ने क्षीरसागर में प्रबोधिनी एकादशी के दिन ही निद्रा त्यागी थी।
उनके निद्रा त्याग करने के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो गई। उन्होंने बताया कि उदया तिथि की दृष्टि से 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी का पर्व मनाया जायेगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान दान, जप, तप, होम आदि करने से सभी इच्छित मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत व् तुलसी और शालिग्राम विवाह-स्वामी लक्ष्मणाचार्य

श्रीगजेन्द्र मोक्ष देव स्थानम नौलखा मंदिर हरिहरक्षेत्र पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने 11 नवंबर को बताया कि यहां नारायणी नदी के पावन तट पर साधु गाछी स्थित श्रीगजेन्द्रमोक्ष देव स्थानम दिव्य देश नौलखा मंदिर में देवी तुलसी और शालिग्राम के विवाह का आयोजन किया गया है। प्रबोधिनी एकादशी की रात्रि कालीन बेला में पवित्र तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की शादी सामान्य विवाह की तरह पूरे धूमधाम से की जायेगी।

हरिवल्लभा तुलसी के विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहूर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। बताया कि तुलसी विवाह का सीधा अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान श्रीगजेन्द्र मोक्ष का आह्वान। शास्त्रों में कहा गया है कि जिन दम्पतियों की कन्या नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह कर कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें। इस दिन सारे घर को लीप-पोतकर साफ़ करना चाहिए तथा स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन में चौक पूरकर भगवान विष्णु के चरणों को चित्रित करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, पकवान, मिष्ठान, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर परात अथवा डलिया से ढक दिया जाता है तथा एक दीपक भी जला दिया जाता है। रात्रि को परिवार के सभी वयस्क सदस्य देवताओं का भगवान विष्णु सहित विधिवत पूजन करने के बाद प्रात:काल भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर जगाते हैं।

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