जश्न-ए-ईद मिलाद उन नबी पर निकाला गया मोहम्मदी जुलूस

रसुल की आमद मरहबा, हुजूर की आमद मरहबा के लगे नारे

एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में चंदवा में इस्लाम धर्म के संस्थापक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म दिवस, ईद – ए – मिलादुन्नबी पर बीते 9 अक्टूबर को शहर में मोहम्मदी जुलूस निकाला गया। जुलूस की अगुवाई सदर असगर खान, सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान, ग्यास खान, बाबर खान, इरफान खान, हाफिज शेर मोहम्मद, कलाम कादरी संयुक्त रूप से कर रहे थे।

यह जुलूस शुक्र बाजार मदरसा अहले सुन्नत गुलशने सैयदना, कामता, बेलवाही और परसाही से निकाला गया। जो कामता चेकनाका, रेलवे क्रासिंग, सुभाष चौंक, मुख्य शहर, गैरेज, थाना, इंदिरा गांधी चौक होते बस स्टैंड पहुंचा। जहां मिलाद पढ़ा गया। जिसमें देश व इलाके की अमन शांति के लिए दुआएं मांगी गई। जुलूस में रसुल की आमद मरहबा, हुजूर की आमद मरहबा के नारे लगाए गए।

मिलाद पढ़ने का आगाज हाफिज शेर मोहम्मद ने कुर्आन पाक की तेलावत से की। मुफ्ती अब्दुल मन्नान, मोलाना असगर, शायर युनूस खान ने अपने तकरीर में कहा कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब न होते तो जमी, आसमां, चांद, सुरज, सितारे कुछ न होता।

यहां तक कि हजरत मोहम्मद साहब दुनियां में तसरीफ न लाते तो हम और आप न होते। उलेमाओं ने अपने तकरीर में मोहम्मद साहब की पैदाइश पर भी रौशनी डाली और उनके नक्शे कदम नेक राह पर चलने की अपील करते हुए कहा कि सभी से मिल जुलकर भाईचारे के साथ रहने की शिख देता है इस्लाम धर्म।

अमन और मुहब्बत हमेशा कायम रहे इसका ख्याल हमेशा रखा जाना चाहिए। पूरी दुनिया में इस्लाम, अमन, सलामती, मुहब्बत व समाजसेवा से फैला है। मुल्क में अमन और भाईचारा कायम रखने की रहिवासियों से अपील की गयी।

आसीफ राईन ने जश्ने आमदे रसुल अल्लाही अल्लाह, बीबी आमना के फुल अल्लाही अल्लाह, चमन चमन के दिलकशी फुलों के है वो रागिनी, हवाओं के है नगमगी, है कितना प्यारा नाम भी नबी नबी नबी नबी, की नात पढ़ी।

मिलाद शरीफ में देश, प्रदेश और क्षेत्र की तरक्की, खुशहाली, अमन, शांति, प्यार, भाईचारे की दुआ मांगी गई। शुक्र बाजार, कामता, बेलवाही और परसाही में फात्हाखानी के साथ मिलादुन्नबी संम्पन्न हो गया।

इधर विधि व्यवस्था बनाये रखने को लेकर पुलिस निरीक्षक सह थाना प्रभारी मदन कुमार स्वंय, सहायक अवर निरीक्षक अरुण यादव, कमलेश पासवान, चौंकीदार सदीक अंसारी व पुलिस बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभाले हुए थे।

जुलूस में सदर असगर खान, सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान, ग्यास खान, बाबर खान, कलाम कादरी, खुर्शीद खान, गुड्डू खान, जावेद खान, इरफान, फानु खान, युसूफ खान, रबुल खान, नसीम खान, तबरेज खान, अफजल खान, सद्दाम खान, सरफुद्दीन राईन, हैदर मियां, आलम खान, अबरार खान, शाहीद मियां, आदि।

रिजवान अंसारी कारा, मो. मुमताज, रिजवान मियां, सदुल खान, कलीम टेलर, मो. अफरोज, सेराज्जुदीन मियां, जम्हीर टेलर, क्यामुद्दीन मियां, असरफ टेलर, मो. असगर, अनु खान, खैराती खान, सईद खान, दिनु अंसारी, मोफील खान, मो. ताज, मुस्तफा खान, नेजाम अंसारी, अमजद खान, मो. सलाम, सकील टेलर, आदि।

नसरूदीन मियां, सफीक मियां, हसीब मियां, मो. मोख्तार बल्ला, तौफीक खान, सौदागर खान, असरफुल खान, मलीजान खान, परवेज खान, रिंकु राईन, तबरेज खान, कलीम टेलर, शमसेर टेलर, मंसूर टेलर समेत कई उलेमा इकराम, मौलाना, बुद्धिजीवी, समाज सेवक सहित क्षेत्र के रहिवासियों ने शिरकत किया।

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