नारद मोह और श्रीराम जन्म की संगीतमय कथा से श्रोता हुए भावविभोर

रामलीला मंच पर प्रेम सौरभ पुस्तक का विमोचन

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में मही नदी किनारे बाबा हरिहरनाथ मंदिर के निकट स्थित रामलीला मंच पर 19 दिसंबर की संध्या श्रीराम कथा के तीसरे दिन जगद्गुरु आचार्य गुप्तेश्वर जी महाराज ने नारद मोह और श्रीरामजन्म की संगीतमय कथा से दर्शक श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।

इस अवसर पर श्रीराम जन्मोत्सव भी धूम धाम से मनाया गया। भजन गंगा में दर्शक श्रोता डुबकी लगाते रहे। यहां प्रेम सौरभ नामक पुस्तक का भी विमोचन किया गया।

इस अवसर पर आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने श्रीराम कथा प्रसंग में कहा कि जब सती ने अपने पिता प्रजापति दक्ष द्वारा शिव का अपमान देखकर अपना शरीर त्याग दिया और पार्वती नाम से राजा हिमाचल के घर में जन्म लिया। उन्होंने भारी तपस्या कर शिव को पति के रुप में प्राप्त किया।

एक दिन पार्वती जी अपने स्वामी शिव से पूछती हैं कि ये राम कौन हैं? इनका अवतार क्यों हुआ और उन्होंने क्या क्या लीलाएं की। शिवजी इसी क्रम में अवतार के विभिन्न कारणों को बताते हुए उन्हें नारद मोह की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि ईश्वर की माया से शीलनिधि राजा की कन्या विश्वमोहिनी के सौंदर्य पर मोहित नारद जी ने उनको अपनी पत्नी के रुप में प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीहरि विष्णु से उनका रुप मांगा।

विष्णु ने नारद का मोह भंग करने के लिए उन्हें बंदर का रुप दे दिया। विवाह तो नहीं हुआ लेकिन नारद जी ने क्रोधवेश में भगवान को पत्नी वियोग में पीड़ित होने का शाप दे दिया, जिसके कारण विष्णु जी का श्रीराम के रुप में अवतार हुआ। वे दशरथ और कौशल्या के पुत्र बनकर अयोध्या में प्रकट हुए।

आज की राम कथा में हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर मिथलेश कुमार, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एम के सिंह, सोनपुर के पूर्व एसडीओ शम्भु शरण पांडेय, हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सुशील चंद्र शास्त्री, न्यास समिति के सचिव विजय कुमार सिंह (लल्ला जी), कोषाध्यक्ष निर्भय कुमार सहित अनेक गणमान्य श्रद्धालु श्रोता उपस्थित रहे।

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