युवा के लिए प्रेरणा हैं बाबा साहेब के अनमोल विचार
मुश्ताक खान/मुंबई। भारत रत्न से सम्मानित, संविधान के रचइता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 133वीं जयंती भारत सहित विश्व के 70 से अधिक देशों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
जबकि वर्ष 2016 में भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर देश तथा विश्व में डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई थी। इस दिन को सभी भारतीय राज्यों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया। इसी वर्ष पहली बार संयुक्त राष्ट्र ने भी डॉ. भीमराव आंबेडकर की 125 वीं जयंती मनाई जिसमें 156 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
संयुक्त राष्ट्र नेे डॉ. भीमराव आंबेडकर को “विश्व का प्रणेता” कहकर उनका गौरव किया। ऐसे में मुंबई भी अछूता नहीं रहा, चेंबूर के डॉ. आंबेडकर गार्डन से लेकर पूर्वी उप नगर के चप्पे -चप्पे में बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती को लेकर बड़े -बड़े होर्डिंग, बैनर और पोस्टरों की भरमार देखने को मिली ।
भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की 133वीं जयंती पर वाशीनाका के मुकुंदराव आंबेडकर नगर में स्थित पौर्णिमा बुद्ध विहार में हर्सोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर को उनके अनुयायियों ने महापर्व के रूप में मनाया। हालांकि पहली बार बाबा साहेब की जयंती सदाशिव रणपिसे ने 14 अप्रैल 1928 में पुणे नगर में मनाई थी।
रणपिसे आंबेडकर के अनुयायी थे। उन्होंने आंबेडकर जयंती की प्रथा की शुरुआत की और भीम जयंती के अवसरों पर बाबासाहेब की प्रतिमा हाथी के अंबारी में रखकर रथ से, ऊँट के ऊपर कई मिरवणुक निकाली थी। संविधान रचइता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है। उन्हें संविधान का निर्माता इसलिए कहा जाता है, क्योंकि भारतीय संविधान के निर्माण में उनका अमूल्य योगदान रहा। उन्होंने दलित समाज के लिए भी अह्म कदम उठाए।
भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करने वाले बाबा साहेब ने इन परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी और उच्चतम शिक्षा हासिल करने का प्रयास जारी रखा। स्कूल-कॉलेज से लेकर नौकरी तक में उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ा।
उनके संघर्षपूर्ण जीवन और सफलता की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणा है। बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने कई बार मंच से ऐसे भाषण, या विचार व्यक्त किए जिससे प्रेरित होकर युवा जीवन की कठिनाइयों का सामना करने को तैयार हो सकते हैं। बहरहाल मध्य प्रदेश सरकार ने जन्म स्थली पर भव्य स्मारक का निर्माण किया। इस स्मारक का उद्घाटन अंबेडकर की 100वीं जयंती पर किया गया था।
14 अप्रैल 1991 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदर लाल पटवा ने स्मारक की संरचना वास्तुविद् की गई थी। बताया तो यह भी जाता है चैत्यभूमि मुंबई के दादर स्थित भारतीय संविधान के निर्माता भारतरत्न डॉ भीमराव आंबेडकर की समाधि स्थली और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के आस्था का केंद्र हैं।
दादर के समुद्र तट पर चैत्य भूमि स्थित है। बहरहाल मुकुंदराव आंबेडकर नगर पौर्णिमा बुद्ध विहार में आयोजित परम पूज्य डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जयंती के अवसर पर सोमनाथ सरवदे, सुभाष गुसले, दत्ता गायकवाड, सूरज सरवदे आदि गणमान्य मौजूद थे।
Tegs: #India-celebrates-the-birth-anniversary-of-dr-bhimrao-ambedkar
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