साभार/ मुंबई। राज्य में स्कूलों का शिक्षा स्तर सुधारने के लिए अगले शैक्षणिक वर्ष में शिक्षा विभाग की तरफ से कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे। साथ ही, स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को स्कूलों तक पहुंचाने के लिए शिक्षा विभाग ने कई योजनाएं बना रहा है। शिक्षा विभाग स्कूलों में डिजिटल व्यवस्था लागू करने सहित शिक्षकों व स्कूलों के उन्नयन पर जोर दे रहा है।
शिक्षा विभाग की नजर स्कूल न जाने वाले बच्चों पर है। वह ऐसे बच्चों के आंकड़े जुटा रहा है, जो प्रवेश लेने के बाद भी स्कूल नहीं जाते या स्कूल छोड़ चुके (ड्रॉप आउट) हैं। 2016 में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक, राज्य में चार लाख 20 हजार बच्चे स्कूल नहीं जाते थे। इसके बाद इनमें से अधिकतर बच्चों को स्कूल में दाखिला दिया गय इससे स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में कमी आई है। आंकड़े बता रहे हैं अब भी बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते हैं। शिक्षा विभाग विभिन्न उपक्रमों के जरिए इन बच्चों पर नजर रखे हुए है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, पिछले साल सर्वेक्षण के बाद जिन बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिया गया था, उनमें से कई छात्र अभिभावकों के स्थानांतरित होने से स्कूल नहीं जा रहे हैं। ये बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इनके अभिभावक ईंट भट्टा, भवन निर्माण आदि अन्य स्थानों पर काम करते हैं। काम पूरा होने पर दूसरे स्थान पर चले जाते हैं।
ये अभिभावक भले ही आर्थिक रूप से कमजोर हैं, लेकिन वे कामकाज को लेकर अपने पास मोबाइल रखते हैं। अब यही मोबाइल इनके बच्चों पर नजर रखने में मददगार साबित होंगे। अब ऐसे अभिभावकों के बच्चे जब स्कूल में लगातार अनुपस्थित रहेंगे तो स्कूल उनसे संपर्क करेगा और अगर वे कहीं स्थानांतरित हो गए होंगे, तो उन्हें नजदीकी स्कूल में दाखिला दिलाया जाएगा।
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