संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। नेपाल (Nepal) की संसद 13 जून की दोपहर संविधान संशोधन बिल पास कर दिया है। इसके बाद इस हिमालयी राष्ट्र का नक्शा बदल गया है। नेपाल की प्रतिनिधि सभा में ये नक्शा दो तिहाई बहुमत से पास हुआ है। नेपाल की संसद में पास हुआ ये नक्शा विवादित है। जिसमें कि भारत के तीन इलाके लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख भी शामिल किए गए हैं। भारत ने 20 मई को इस नक्शे को खारिज करते हुए इसे अनुचित मानचित्र संबंधी दावा बताया था।
नेपाल के इस संविधान संशोधन के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया कि- “नेपाल ने वाकई आज भारत को नाक चिढ़ा दी।” लेकिन इस वोटिंग से दो दिन पहले 11 जून को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने इससे जुड़े सभी सवालों और काठमांडू से किसी भी प्रकार की बातचीत को दरकिनार करते हुए कहा था कि वे इस पर पहले ही अपनी स्थिति साफ कर चुके हैं और भारत के साथ नेपाल की सभ्यता, सांस्कृति और मैत्रीपूर्ण संबंधों का हवाला प्रगाढ़ रहे है।
इस तथ्य के बावजूद कि इस बयान से एक दिन पहले नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने कहा कि अगर भारत ने बातचीत के लिए अधिक इच्छा दिखाई, तो समाधान निकल सकता है। भारत ने 20 मई के बयान में कूटनीतिक बातचीत पर भी जोर दिया था लेकिन विदेश सचिव स्तर की वार्ता अभी भी दोनों पक्षों के बीच लंबित है।
इस बीच श्रीवास्तव ने कोविड -19 महामारी से लड़ने में भारत द्वारा नेपाल को दी जाने वाली मदद पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “हमने नेपाल को लगभग 25 टन चिकित्सा सहायता प्रदान की है, जिसमें पैरासिटामोल और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवाएं, परीक्षण किट और अन्य चिकित्सा आपूर्ति शामिल हैं।” नेपाल उन देशों की पहली सूची में था जिनके लिए भारत ने लाइसेंस श्रेणी में ले जाने के बाद HCQ के निर्यात को मंजूरी दे दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने मानवीय आधार पर विदेश में फंसे नेपाली नागरिकों को वापस लाने में मदद की थी। सबसे जरूरी श्रीवास्तव ने इस बात पर जोर दिया कि “भारत सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि दोनों तरफ से जारी लॉकडाउन के बावजूद नेपाल को व्यापार और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में कोई अप्रिय व्यवधान न हो।”
वर्ष 2015 में आपूर्ति में हुई रुकावट के परिणामस्वरूप भारत और नेपाल के बीच एक गंभीर मनमुटाव पैदा हो गया था। भारत ने इस बात से इनकार किया था कि उसने नेपाल के खिलाफ किसी भी नाकेबंदी का आह्वान किया था और लगातार इस बात पर जोर दिया था कि मधेश के प्रदर्शनकारियों ने सीमाओं को रोक दिया है। जिससे भारत में आवश्यक सामानों वाले ट्रकों की आपूर्ति बाधित हो रही है। हालांकि तब नेपाल ने भारत पर एक आर्थिक नाकेबंदी की ओर बढ़ने का आरोप लगाया था। जिसके परिणामस्वरूप उसकी पहाड़ी आबादी जो भारत से रसोई गैस और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति पर निर्भर थी उसकी परेशानियां बढ़ गई थी।
इस बीच 12 जून को बिहार के सीतामढ़ी में भारत-नेपाल सीमा पर एक बहुत ही असामान्य घटना हुई। एसएसबी की 51वीं बटालियन कमांडेंट द्वारा “स्थानीय” और “पूरी तरह से टालने योग्य मुद्दे” को लेकर हुए एक विवाद पर नेपाल एपीएफ ने फायरिंग कर दी।यहां 15 राउंड फायरिंग हुई। जिसमें एक भारतीय नागरिक की मौत हो गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि नेपाल पुलिस ने उन्हें सीमा के आसपास जाने से मना किया है, क्योंकि वे नेपाल में कोरोनावायरस फैला रहे हैं। हालांकि आधिकारिक संस्करण से पता चलता है कि उन्हें चारों ओर जाने से रोक दिया गया क्योंकि नेपाल में 14 जून तक लॉकडाउन है। इस “स्थानीय” घटना ने कुछ हफ़्ते पहले नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने भी भारत को लेकर कुछ ऐसा ही बयान दिया था, जिसमें उन्होंने भारतीयों पर नेपाल में कोविड -19 को फैलाने का आरोप लगाया था। ओली ने कहा था कि भारतीय वायरस चीन और इटली की तुलना में अधिक खतरनाक है।
ओली का झुकाव बीजिंग की ओर माना जाता है। भारत के साथ उनकी असहमति कोई नई बात नहीं है। पीएम के रूप में अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने 2016 में भारत पर अपनी सरकार को गिराने का आरोप लगाया था। हालांकि वर्ष 2018 में उनकी सत्ता में वापसी को समीकरणों में सुधार के लिए दोनों पक्षों के नए प्रयासों से चिह्नित किया गया था। भारत ने तेल और गैस क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाया है। भारत ने मोतिहारी को नेपाल के अमलेखगंज से जोड़ने वाली 2 मिमी की क्षमता वाली 69 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का उद्घाटन सितंबर 2019 में पीएम मोदी और ओली ने संयुक्त रूप से किया था। यह दक्षिण एशिया में पहली क्रॉस-बॉर्डर पेट्रोलियम उत्पाद पाइपलाइन थी। इसके निर्माण लागत 324 करोड़ रुपये इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा वहन किया गया था। परियोजना को IOCL द्वारा तय समय से पहले ही पूरा कर लिया गया था।
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