कसमार क्षेत्र में वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से खतरे में जंगल का अस्तित्व

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में कसमार क्षेत्र में इन दिनों जंगलों से अवैध लकड़ी की कटाई जोरो से की जा रही है। इस कटाई में शामिल धंधेबाज उंची पैरवी वाले माने जाते हैं।

सूत्रों के अनुसार कसमार क्षेत्र में खासकर राजनीति के आड़ में जंगल से कीमती लकड़ी कटवा कर बाहर के मंडियों में रात में भेजा जाता है। अवैध कटाई के रोकथाम के लिए वन विभाग द्वारा गठित वन बचाओ समिति क्षेत्र में काफी निष्क्रिय है। वन क्षेत्र से वृक्षों का कटाई तो होता ही है, साथ में अवैध पत्थर का भी उत्खनन कर बाहर भेजा जाता है।

अवैध तरीके से वृक्षों की कटाई से एक ओर पर्यावरण पर भी असर पड़ रहा है। अवैध धंधा में संलिप्त धंधेबाजो को राजनीतिक रसूख वाले का सरंक्षण प्राप्त है, दूसरी ओर उच्च अधिकारी के आशीर्वाद प्राप्त अवैध धंधा करते नजर आते हैं। छोटे अधिकारी डर से धंधा करने वाले पर कार्रवाई करने से कतराते हैं।

बोकारो जिला के हद में कसमार, पेटरवार तथा जरीडीह प्रखंड के जंगल में अवैध धंधा जोरों से चल रहा है। अगर इसी तरह लगातार हरा भरा वृक्षों की कटाई होता रहा तो जल्द हीं क्षेत्र में जंगल का नामोनिशान मिट जाएगा। जंगल बचाओ समिति के बनने के बाद जंगल पूरी तरह सुरक्षित था, लेकिन बन बचाव के केंद्रीय अध्यक्ष जगदीश महतो की मृत्यु के बाद अवैध लकड़ी का कारोबार जोरो से हो रहा है।

वन बचाव समिति के केंद्रीय अध्यक्ष जगदीश महतो एवं अधीर चंद्र चक्रवर्ती के मरने के बाद अवैध धंधा शुरू हो गया है। इन दोनों के जिंदा रहते धंधेबाजो की हिम्मत नहीं हो पाता था। साथ ही कुछ समिति निष्क्रिय रहने का खास कारण वन विभाग द्वारा कोई सहयोग नहीं मिलने के चलते। इन दिनों वन बचाओ समिति के सदस्यों को वन विभाग द्वारा कोई अधिकार और ना ही कोई लाभ मिलने के कारण समिति पूरी तरह निष्क्रिय हो गई है, जिसका फायदा अवैध धंधा करने वालों को मिल रहा है। उनकी चांदी कट रही है।

सूत्रों का मानना है कि वन बचाओ समिति का नए सिरे से कमेटी बना देने से अवैध धंधा पर अंकुश लग सकता है। ऐसे वन विभाग में कर्मचारी की कमी का भी फायदा धंधेबाज उठाते है।

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