रिविलगंज के कचनार हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का गठन

फाइलेरिया के मरीजों के बीच एमएमडीपी कीट का हुआ वितरण

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सामुदायिक स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। फाइलेरिया के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने और मरीजों के अधिकारों के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से सारण जिला के हद में रिविलगंज प्रखंड के कचनार पंचायत स्थित हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 10 जनवरी को पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का गठन किया गया।

रिविलगंज सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राकेश कुमार और कंचनार पंचायत के मुखिया नरेंद्र कुमार सागर के सकारात्मक सहयोग से पीएसपी का गठन किया गया। पेशेंट सपोर्ट प्लेटफार्म का अध्यक्ष सीएचओ वंदना पाल को बनाया गया। सीएचओ ने पीएसपी के गठन के उद्देश्यों के बारे में हितधारकों और फाइलेरिया मरीजों से चर्चा की। चर्चा के दौरान सभी हितधारकों ने पीएसपी के जरिए फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में सक्रिय सहयोग का आश्वासन दिया।

इस बैठक में विभिन्न प्रमुख व्यक्तियों ने अपने-अपने योगदान का संकल्प लिया। पीएसपी गठन में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च संस्था द्वारा तकनीकी सहयोग किया गया। पीएसपी के सदस्यों ने समाज में जागरूकता फैलाने का सामूहिक संकल्प लिया। पंचायत के सरपंच देवेन्द्र कुमार राम ने पीएसपी द्वारा मिली जानकारी को ग्राम कचहरी की बैठक और पंचायती स्तर पर मुहल्ला बैठक आयोजित कर रहिवासियों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

इस अवसर पर विकास मित्र गुडिया कुमारी ने दलित बस्तियों में सामूहिक बैठकें और किशोर व् किशोरी समूहों द्वारा रैली तथा बैठकों के माध्यम से जागरुकता फैलाने का वचन दिया। एएनएम रीता कुमारी ने टीकाकरण कार्यक्रम और स्वास्थ्य सेवाओं के अन्य कार्यक्रमों में पीएसपी द्वारा प्राप्त जानकारी से समुदाय को जागरूक करने का संकल्प लिया। पैक्स सदस्य रिंकू कुमारी ने किसान सभा और वाट्सएप के माध्यम से किसानों तक फाइलेरिया संबंधी वीडियो पहुंचाने में सहयोग की बात की।

इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अन्ना देवी, संगीता देवी और रेखा देवी, जीविका सीएम मीरा देवी, रेखा देवी, पुनिता देवी, पीएसपी सदस्य तूफानी सिंह, मोहम्मद मान और तारकेश्वर यादव ने सामाजिक जागरूकता फैलाने और फाइलेरिया मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने में सहयोग का वचन दिया। इस अवसर पर पिरामल से अभिमन्यु कुमार और सीफार से कृष्णा सिंह उपस्थित थे।

बैठक के दौरान 9 फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी कीट प्रदान की गई, जिससे उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा मिल सके। मरीजों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें एमएमडीपी के इस्तेमाल के फायदों के संबंध में भी बताया गया। मरीजों को बताया गया कि एमएमडीपी किट के नियमित इस्तेमाल से मरीज हाथी पांव की बढ़ोतरी पर काबू पा सकते हैं। लेकिन इसके लिए मरीजों को स्वयं जागरूक होना होगा। तभी जाकर उन्हें हाथी पांव से राहत मिलेगी।

लिम्फेटिक फाइलेरियासिस यानी फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका समय पर इलाज नहीं होने से इंसान दिव्यांग बन सकता है। इसलिए सरकार ने फाइलेरिया को मिटाने की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है।

रोग की पहचान होने पर इसे रोकना संभव

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि क्यूलेक्स मच्छर फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को काटने के बाद किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे भी संक्रमित कर देता है। लेकिन संक्रमण के लक्षण पांच से 15 वर्ष में उभरकर सामने आते हैं। इससे या तो व्यक्ति को हाथ-पैर में सूजन की शिकायत होती है या फिर अंडकोष में सूजन आ जाती है। डॉ दिलीप ने बताया कि महिलाओं को स्तन के आकार में परिवर्तन हो सकता है।

हालांकि, अभी तक इसका कोई समुचित इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन शुरूआत में रोग की पहचान होने पर इसे रोका जा सकता है। संक्रमित होने के बाद मरीजों को प्रभावित अंगों की सफाई सहित अन्य बातों को समुचित ध्यान रखना जरूरी होता है।

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