डीआरडीए सभागार में जिला स्तरीय उर्दू सेमिनार, कार्यशाला व् मुशायरा

सरकार के साथ अवाम को भी उर्दू की तरक्की में आगे आना होगा-अमन समीर

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। भाषा हमें सभ्य बनाती है। उर्दू किसी कौम की नहीं बल्कि विशुद्ध भारत की भाषा है।

उक्त बातें सारण के जिला पदाधिकारी अमन समीर ने मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग उर्दू निदेशालय के तत्वाधान में डीआरडीए सभागार छ्परा में बीते 9 जनवरी को आयोजित फरोग-ए-उर्दू सेमिनार सह मुशायरा एवं कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही।

उन्होंने कहा कि इस भाषा को लेकर दुर्भावना को दूर करने की आवश्यकता है। जिला उर्दू भाषा कोषांग हर माह इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करे, ताकि ज्ञान का आदान – प्रदान हो सके। उन्होंने आम नागरिकों से अपील किया कि रोजमर्रा की जिंदगी में उर्दू को शामिल करें। इंग्लिश और हिंदी भाषा की तरह उर्दू जबान की नियमित तालीम जरूरी है। तभी सही मायने में उर्दू भाषा का विकास संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि भाषा की तरक्की के लिए सरकार द्वारा हर साल इस तरह का आयोजन किया जाता है। ताकि आम जनों द्वारा अन्य भाषाओं की तरह उर्दू को भी बढ़ावा मिल सके।

इससे पूर्व कार्यशाला का विधिवत उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीडीसी यतींद्र कुमार पाल ने कहा कि आईएएस की ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने उर्दू सीखा है। कहा कि उर्दू 800 साल पुरानी जबान है। द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद भी उर्दू की तरक्की जितनी होनी चाहिए थी नहीं हो पायी है। उन्होंने कहा कि आम जन आज उर्दू जबान को अहमियत नहीं दे पा रहे हैं। यह भाषा आपकी बातों में असर पैदा करती है।

अतिथियों का स्वागत करते हुए उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल ने विषय प्रवेश कराया। उन्होंने कहा कि उर्दू के बल पर आला मुकाम हासिल कर सकते हैं।उन्होंने आम रहिवासियों से प्रतियोगिता परीक्षाओं में उर्दू विषय को चयन करने की जरूरत जताया। कहा कि अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र में भी उर्दू भाषा को तवज्जो नहीं दी जा रही है। उन्होंने भाषा की तरक्की के लिए आम बोल-चाल में इसके अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उर्दू को मोहब्बत की मुकम्मल जबान बताते हुए कहा कि उर्दू पढ़ने – लिखने वालों में कमी है। इंटरनेट पर सैकड़ो रुपए खर्च किया जा रहा है। लेकिन इस भाषा पर खर्च करने से आमजन कतराते हैं।

आज के परिवेश में जरूरत है इस जबान को बढ़ावा देने की। उन्होंने कहा कि उर्दू मादरी जबान होते हुए भी आम इंसान में उर्दू के प्रति मोहब्बत में कमी है। उन्होंने कहा कि सरकार तो प्रयास कर रही है। समाज को भी इसके लिए आगे आना होगा। तभी उर्दू भाषा की तरक्की होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रोग्राम से आम जनों को सीख लेने की आवश्यकता है।

जिला उर्दू भाषा कोषांग प्रभारी पदाधिकारी सरबत जहां ने कहा कि उर्दू जबान गंगा-जमुनी तहजीब की भाषा है। इस भाषा की तरक्की को लेकर हम सबों को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जब तक उनका इस जिला में कार्यकाल रहेगा, उर्दू की तरक्की के लेकर हर संभव प्रयास किया जाएगा। पूर्व में उन्होंने अतिथियों को गुलदस्ता, अंग वस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डेलीगेट के रूप में संबोधित करते हुए डॉ लालबाबू यादव उर्दू जबान के उद्भव पर विस्तार से प्रकाश डाला। अन्य डेलीगेट में प्रो. सलाम अंसारी, मो. शारिफ, प्रो. अलाउद्दीन खान, जुनैद मीर और वलीउल्लाह कादरी ने आलेख पाठ किया।

कार्यक्रम में बंदोबस्त पदाधिकारी संजय कुमार, जिला अल्पसंख्यक पदाधिकारी कमरे आलम, जिला खेल पदाधिकारी मो. शमीम अंसारी, निदेशक एनईपी सुमिता कुमारी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर मुशायरा का भी आयोजन किया गया।

जिसमें डॉ मोअज्जम अज्म, प्रो. शमीम परवेज, बैतुल्लाह बैत छपरवी, प्रो. शकील अनवर, डॉ ऐनुल बरैलवी, प्रो. मजहर किबरिया, शाहिद जमाल, जाहिद सिवानी, डॉ समी बहुआरवी, डॉ समद भयंकर और बैतुल्लाह छपरवी आदि ने कलाम पेश कर उपस्थित जनों का मनोरंजन किया। कार्यक्रम में समाजसेवी अरशद परवेज मुन्नी, जदयू जिलाध्यक्ष अल्ताफ आलम राजू, जहांगीर आलम, गुड्डू खान, अमजद अली, नियाजउद्दीन, सैयद काजिम रिजवी, नदीम अख्तर सहित बड़ी संख्या में उर्दू तर्जुमा के जानकर मौजूद थे।

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