एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की एकाई वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमोद पेठकर के द्वारा दिया गया बयान सरासर आदिवासी समाज को जबरदस्ती हिन्दु बनाने का षडयंत्रकारी चाल है। उनका बयान संविधान विरोधी है।
उपरोक्त बातें 17 सितंबर को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कही। उन्होंने आरएसएस की एकाई वनवासी कल्याण आश्रम के प्रमोद पेठकर के उक्त बयान कि देश में सभी जनजातियां हिंदू हैं की प्रतिक्रिया में उक्त बातें कही।
नायक ने कहा कि सभी आदिवासी समाज न अतीत में हिंदू थे न वे वर्तमान में हिन्दू है, और न वे भविष्य में हिंदू रहेंगे। उन्होंने कहा कि आदिवासी मुलवासी प्रकृतिक पूजक थे और रहेंगे। उनकी सामाजिक प्रथा, परम्परा, उनकी संस्कृति, रिती रिवाज और पुजा पद्धति हिन्दुओं और देश के अन्य सभी धर्मो से अलग रही है।
नायक ने साफ शब्दो मे कहा कि इसी मनुवादी मानसिकता के कारण आज सरना धर्म कोड देश के आदिवासी समाज को नही दिया जा रहा है। जनगणना के काॅलम मे जो सभी धर्मो के अलावे अन्य का भी काॅलम दिया गया था, उसको भी आरएसएस के इशारो पर भाजपा की केंद्र सरकार ने एक षडयंत्र के तहत हटा दिया।
क्योंकि, आदिवासी समाज जनगणना के धर्म वाले काॅलम मे अन्य धर्म लिखते थे, जिसे साजिश कर हटा दिया गया और जबरदस्ती इन्हे हिन्दु धर्म वाले काॅलम में गिनती कर दिया गया। जबरदस्ती इन्हें धर्मान्तरण कराने की कोशिश आरएसएस और भाजपाई कर रहे है, जो संविधान के खिलाफ है।
नायक ने वनवासी कल्याण आश्रम के पेठकर के बयान की कड़े शब्दो मे निन्दा करते हुए कहा कि वे आदिवासी समाज के धर्म के बारे अनाप सनाप बोलना बंद करे और अपने दिये गये बयानो को वापस ले, नही तो इसके गंभीर परिणाम उनको भुगतने होगे। जिसकी जिम्मेवारी उन पर होगी।
उन्होंने पुनः भाजपा के केंद्र सरकार के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से मांग किया कि वे किन्तु परन्तु ना करते हुए अविलंब सरना धर्म बिल कोड शीतकालीन सत्र मे सदन के दोनो पटल से पारित कर आदिवासी समाज के वर्षो से जो मांग रही है उन मांगो को पुरा करे, नही तो आदिवासी समाज भाजपा से दूरी बनाकर उसको कभी वोट नही देने का कार्य करेगी।
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