महोत्सव में राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं शिबू सोरेन हुए शामिल
एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर 9 अगस्त को झारखंड की राजधानी रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव का भव्य शुभारंभ किया गया। उद्घाटन समारोह में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष -सह- राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन मौजूद थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य वासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर राज्य में तीसरी बार झारखंड आदिवासी महोत्सव का भव्य आयोजन हो रहा है। यह सिर्फ एक महोत्सव मात्र नहीं, बल्कि यह अपनी प्राचीन और समृद्ध जनजातीय सभ्यता- संस्कृति और विरासत को संजोने, संवारने और देश -दुनिया में पहचान दिलाने का एक प्रयास है।
सीएम सोरेन ने कहा कि आज राज्यभर में हर्ष, उल्लास और उत्साह के साथ आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आयोजित हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए आदिवासी अपनी सभ्यता और संस्कृति की चमक बिखेर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी महोत्सव आदिवासी जीवन दर्शन और कला-संस्कृति को अलग पहचान देने का माध्यम बनता जा रहा है।
यहां आयोजित हो रहे आदिवासी महोत्सव में हमें आदिवासियों की कला -संस्कृति, परंपरा, गीत- नृत्य और उनकी वेशभूषा से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। सीएम ने कहा कि जनजातीय सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता है। आदिकाल से ही आदिवासियों की सभ्यता -संस्कृति और परंपरा काफी समृद्ध रही है।
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आदिवासी समुदाय वास करते हैं, लेकिन उनकी सभ्यता -संस्कृति में कहीं न कहीं एकरूपता देखने को मिलती है। कहा कि आज जनजातीय कला- संस्कृति और परंपरा को सुरक्षित करने के साथ समृद्ध करने की जरूरत है, ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणाश्रोत हमेशा बना रहे।
सीएम सोरेन ने कहा कि झारखंड के आदिवासियों को विरासत में संघर्ष मिला है। यहां के आदिवासियों ने अपनी सभ्यता- संस्कृति और मान-सम्मान के साथ कभी समझौता नहीं किया। जल- जंगल -जमीन की रक्षा की खातिर लंबा संघर्ष किया। हमें गर्व है अपने उन वीरों पर जिन्होंने अन्याय, शोषण एवं देश व् राज्य के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। उन्होंने कहा कि झारखंड सदियों से वीरों और शहीदों की धरती रही है।
चाहे आजादी के पहले की बात हो या आजादी के बाद अथवा झारखंड अलग राज्य के लिए चली लंबी लड़ाई। भगवान बिरसा मुंडा, सिदो कान्हू, भैरव- चांद, फूलो झानो, नीलाम्बर पीताम्बर, तिलका मांझी, शेख भिखारी, बुधु भगत, टाना भगत, निर्मल महतो और विनोद बिहारी महतो जैसे अनेकों वीर हुए हैं, जिन्होंने अन्याय-शोषण, आदिवासी-मूलवासी के हक-अधिकार और जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानी दे दी। इन वीर शहीदों को नमन है।
मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि आदिवासियों को बहुत संघर्ष के बाद मुकाम हासिल होता है। इसके लिए उन्हें लम्बी लड़ाई लड़नी होती है। ऐसे में आदिवासी समाज कैसे आगे बढ़े, इसके लिए सरकार तो प्रयास कर ही रही है। आपको भी अपनी भूमिका निभानी होगी।
आप आगे बढ़ें, सरकार आपके साथ है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार से जनता को काफी उम्मीदें हैं। हम जन आकांक्षाओं को पूरी ताकत के साथ पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। इस सिलसिले में सरकार की ओर से अनेकों कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
इन योजनाओं के जरिए राज्य की जनता को सशक्त और स्वावलंबी बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपरीत चुनौतियों के बीच भी राज्य में विकास को नया आयाम देने का कार्य कर रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य दे सकें।
आदिवासी महोत्सव के अवसर पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार, अध्यक्ष राज समन्वय समिति-सह- राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंच पर मौजूद अन्य गणमान्यों ने डॉ राम दयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान द्वारा प्रकाशित 12 पुस्तकों का विमोचन किया।
वहीं, 257 जनजाति रहिवासियों के बीच 73 हज़ार 5 सौ 83 एकड़ सामुदायिक वन पट्टा का वितरण किया गया। महोत्सव की शुरुआत में गणमान्य जनों ने शहीद बेदी पर पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने आदिवासी प्रदर्शनी शिविर और आदिवासी चित्रकार शिविर का उद्घाटन और अवलोकन किया।
महोत्सव में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री दीपक बिरुवा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, विधायक राजेश कच्छप, मुख्य सचिव एल. खियांग्ते, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता, राज्यपाल के प्रधान सचिव नीतिन मदन कुलकर्णी, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के सचिव कृपानंद झा, आदिवासी कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा सहित कई वरीय अधिकारी एवं गणमान्य उपस्थित थे।
शिबू सोरेन आज करेगें झारखंड आदिवासी महोत्सव मेले का उद्घाटन
झारखंड आदिवासी महोत्सव को लेकर 10 अगस्त को 32 आदिवासी समुदायों द्वारा रांची के करम टोली चौक धुमकुड़िया भवन से बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान जेल चौक तक रीझ-रंग शोभा यात्रा निकाली जाएगी। महोत्सव के मुख्य अतिथि के रूप में राज्य समन्वय समिति अध्यक्ष सह सांसद राज्यसभा शिबू सोरेन मेले में प्रदर्शनी शिविर, आदिवासी चित्रकार शिविर और आदिवासी व्यंजन का उद्घाटन करेंगे।
तत्पश्चात उनके द्वारा शहीद वेदी पर पुष्प अर्पण किया जाएगा। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे।
इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में मिज़ोरम, ओडिशा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़ आदि अन्य राज्यों से कलाकार पारंपरिक आदिवासी नृत्य की अपनी मनमोहक प्रस्तुति देंगे।
मेले में अखड़ा दर्शन के तहत 8 जनजातियों का गीत नृत्य पद्मश्री मुकुंद नायक द्वारा नागपुरी गीत नृत्य, जननी झूमर, वर्षा लकड़ा और उनके समूह द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की ऐतिहासिक गाथा का कथात्मक संगीतमय नृत्य नाटिका, संथाली बैंड (आधुनिक संथाली गायन वादन गायिका शेरोन मरांडी) द्वारा प्रस्तुति, झारखंड झरोखा लोक कला वाद्य यंत्र एवं परिधान की प्रस्तुति दी जाएगी।
वहीं परिवर्तन संस्था के आदिवासी दिव्यांग बच्चों द्वारा ट्राईबल कल्चर इन फ्रेगमैन स्टाइलिश, परिधान दर्शन एवं आश्रम विद्यालय के छात्र और छात्राओं द्वारा चारित्रिक गुणों पर आधारित एक नाटक की प्रस्तुति की जाएगी।
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