कल का भविष्य हैं! बच्चे मन के सच्चे!

बन सकते हैं चाचा नेहरू या मिसाइल मैन

1968 के दशक में फिल्म दो कलियां रिलिज़ हुई थी, बच्चों पर आधारित इस फिल्म में सबकी दीदी लता मंगेशकर ने अपनी मधुर आवाज दी थीं, बच्चे मन के सच्चे, सारे जग के आंख के तारे, ये वो नन्हें फुल हैं जो भगवान को लगते प्यारे। इस फिल्म को अभिनेत्री नीतू सिंह और माला सिन्हा पर फिल्माया गया था। हिंदी की यह जानकारी अंग्रेजी स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. ए. एफ पिंटो ने संवाददाता के साथ साझा किया। इस अवसर पर स्कूल की निदेशक ग्रेसी पिंटु और प्रधानाचार्य फिलोमिना डिसुजा भी मौजूद थी।

चेंबुर के रायन इंटरनेशन स्कूल (Ryan International School) की प्रधानाचार्य फिलोमिना डिसुजा ने कहा, दरअसल स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन हर साल 14 नवंबर को मनाया जाता है। उन्हें चाचा नेहरू के नाम से भी जाना जाता है। चाचा नेहरू मंझे हुए राजनीति के खिलाड़ी थे। उन्हें बच्चों से काफी लगाव था, उन्होंने देश में बच्चों के भविष्य के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया।

इतना ही नहीं उन्होंने शिक्षा और विकास के लिए उत्कृष्ट कार्य किए हैं। चाचा नेहरू अपने बहुमूल्य समय बच्चों के साथ ही बिताया करते थे। इन्हीं कारणों से उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में, उनके जन्मदिन को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। बाल दिवस न केवल बच्चों के लिए बल्कि माता-पिता और शिक्षकों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है।

 

क्योंकि यही वो दिन है जो बचपन की यादों को ताजा करता है और हमें याद दिलाता है कि अपने बच्चों को प्यार और उनकी देखभाल में कोई कमी न छोड़े। बच्चे न केवल हमारा बल्कि देश का भविष्य हैं, यही बच्चे कल के राष्ट्र पिता, मोहनदास करमचंद गांधी, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, सुभाषचंद्र बोस, एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महान हो सकते हैं। इन्हीं कारणों से कहा गया है कि यही महान लोग जीवित संदेश हैं। करीब तीन चार दशक पूर्व की तुलना में 21 वीं सदी के बालकों में धरती और आकाश जैसा अंतर है।

इस अवसर पर स्कूल की निदेशक ग्रेसी पिंटो ने कहा, बच्चे मन के सच्चे होते होता हैं, ऐसे में अगर इन बच्चों को उपहार स्वरूप जिम्मेदारी और स्वतंत्रता दी जाए तो शायद, यही बच्चे डेनिस वेटली के उन उद्धरणों को साकर करके दिखाएंगे। जो बच्चों के प्रति समाज की जिम्मेदारियों को बताता है। 21 वीं सदी के बच्चे न केवल अनोखे हैं बल्कि अनमोल रत्न हैं।

अभिभावक व शिक्षक तो सिर्फ उनके शारीरिक, भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक विकास को सुनिश्चित करने व उनके पोषण के जिम्मेदार हैं। अगर हम उनकी और उनकी शिक्षा का ख्याल रखें तो वे कल के जिम्मेदार नागरीक या मिसाइल मैन बन सकते हैं।

चाचा नेहरू के जन्मदिन पर सेक्सन हेड पुजा शेट्टी ने अध्यक्ष डॉ. ए. एफ पिंटो की बातों को आगे बढ़ाते हुए कहा, ये वो नन्हें फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे, अब मैं बात कर रहा हुं, जो हम सब पिछले दो वर्षों से झेल रहे हैं। कोविड-19 महामारी के दौर में हमारे बच्चों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

चुनौतियों के अलावा, महामारी ने हमें यह भी सिखाया कि भूमिकाएं और जिम्मेदारी साझा करना समय की मांग है। जबकि शिक्षक और माता-पिता बच्चों के लिए अपना सर्वश्रेष्ट प्रयास करते हैं, ऐसे में बच्चों को भी अवसरों का लाभ लेना चाहिए। लॉकडाउन ने हमारे साथ-साथ बच्चों को भी बहुत कुछ सिखाया है। मिसाल के तौर पर 21वीं सदी में कौशल के विकास ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड के जरीये अपनी क्षमताओं का पता लगाना आदि ।

स्कूल की विभाग प्रमुख सुजी कैब्रिल ने छात्रों के अभिभावकों और शिक्षकों से बच्चों का पालन-पोषण करने और उन्हें कल के ईमानदार और जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रशिक्षित करने का आग्रह किया। बच्चों से प्यार करें और उनकी खुशी का ख्याल रखें।

उन्होंने छात्रों को संबेधित करते हुए कहा वर्तमान समय की चुनौतियों से निराश न हों, आप अपने माता-पिता और हमारे लिए अनमोल हैं। आप सभी राजा और रानी बन सकते हो। अपने माता-पिता और शिक्षकों के लिए और उसके द्वारा दिए गए जीवन के उपहार के लिए भगवान के प्रति आभारी रहें। हम आपके स्वस्थ, सुखी और उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं!
– मुश्ताक खान

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