पीवीडी के मरीज को डॉक्टरों की टीम ने ग्राउंड में उतारा

66 वर्षीय राज पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज से जुझ रहे थे

मुश्ताक खान/मुंबई। बिस्तर पर मजबूर पड़े 66 वर्षीय एक मरीज को वॉकहार्ट हॉस्पिटल (Wockhardt hospital) के न्यूरो एंड पेरिफेरल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अमित साहू ने न केवल चलने फिरने लायक बल्कि उन्हें ग्राउंड (Ground) में दौड़ने लायक बना दिया है।

दर असल राज (काल्पनिक नाम) को पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज हो गया था। इससे पीड़ीत राज के पैर पर एक जटिल न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया को मिरारोड के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में सफलतापूर्वक किया गया। ऐसे में समय पर इलाज नहीं किया जाता तो गैंगरीन या अंगविच्छेदन हो सकता था।

प्राप्त जानकारी के अनुसार मिरारोड (Mirarod) के वॉकहार्ट अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरो एंड पेरिफेरल इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट डॉ. अमित साहू के नेतृत्व में डॉक्टरों कि टीम ने इस ऑपरेशन को बखुबी अंजाम दिया।

बताया जाता है कि पैरो में गंभीर दर्द के कारण वह पिछले 1 साल से चलना फिरना तो दूर की बात है, दैनिक कार्यो के लिए भी उन्हें परिवार के सदस्यों पर निर्भर रहना पड़ता था। उनके बाए पैंर की रक्त वाहिकाओं में रूकावट थी।

जिसके कारण मरीज को काफी दर्द का सामना करना पड़ रहा था। उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए उनके परिजनों ने उन्हें मिरारोड के वॉक्हार्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया।

वॉक्हार्ट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमित साहू (Wockhardt Senior Consultant Dr Amit Sahu) ने वैद्यकीय जाचं के बाद मरीज को पेरिफेरल वैस्कुलर डिजीज (पीवीडी) होना बताया। उन्होंने कहा कि यह एक रक्त परिसंचरण विकार है। जो शूगर के मरीज और मूत्रपिंड की समस्या वाले मरीजों में देखी जाती हैं।

पीवीडी (PVD) से सबसे अधिक प्रभावित पैर होते हैं। इसमें पैरों में दर्द, चलन में कठिनाई, सुन्नता जैसी समस्या जन्म लेती हैं। इस मरीज के पैर में रक्त के प्रवाह में सुधार के लिए कई अवरुद्ध वाहिकाओं पर एक जटिल परिधीय एंजियोप्लास्टी किया गया। जिसके कारण राज अब मजे से चल फिर सकते हैं।

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