करम खेती-बाड़ी से जुड़ा भाई-बहन संबंधित सृजन का परब-संतोष

करम परब महोत्सव पर रात-भर करम गीतों से गूंजा मंजूरा गांव

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। कसमार प्रखंड के हद में मंजूरा गांव स्थित पुरनाटांड़ टोला में बीते दिनों करम परब महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बंगाल के कवि शिल्पी गोविंद लाल हस्तुआर, सायमनी महतो, अंबा महतो, ममता महतो एवं रिता हस्तुआर के टीम द्वारा एक से बढ़कर एक पारंपरिक करम झुमर एवं पांता नाच गीत की प्रस्तुति की गई।

इससे पूर्व करम आखड़ा का कुड़मालि जागरण गीत गाकर शुभारंभ किया गया। स्थानीय युवतियों के टीमों द्वारा नृत्य प्रस्तुत की गई।
मौके पर उपस्थित चारि गुरु संतोष केटियार ने करम परब के महत्व नेग-नियम को विस्तार पूर्वक बताया। संतोष ने कहा कि करम परब काम करने का संदेश देता है।

वैसे काम जिससे मानव जीवन एवं वंश चले। उन्होंने कहा कि करम खेती-बारी यानी कृषि कार्य से संबंधित तो है ही करम में भाईयों के द्वारा बहनों के प्रति कर्तव्य व दायित्व का बोध कराता है।

करम परब में जीव के वंश आगे बढ़ाने के लिए कुआंरी कन्याओं को मां बनने का संदेश जावा के माध्यम से होता है। कहा कि एक मां जिस प्रकार बच्चे का ख्याल रखती है, उसी प्रकार करमैती अपने अपने जावा रुपी बच्चे का ख्याल रखती है। कुल मिलाकर करम सृजन का परब है।

कार्यक्रम में मंजूरा, झरमुंगा, तिलैया, टांगटोना, मुंगो बगदा, दुर्गापुर आदि गांवों से बड़ी संख्या में महिला व पुरुष पहुंचे थे। कुड़मालि शोधकर्ता दीपक पुनरिआर, संतोष बानुआर, बिंदेश्वर महतो, दुर्गा महतो, अनंत कंडहरआर, राजेन्द्र डुमरियार, भुवनेश्वर काछुआर, डब्लू महतो, करन ओहदार भी पंहुचे थे। जिन्हें गमछा देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को सफल बनाने में जानकी गुलिआर, संजय महतो, मिथलेश केटियार, प्रवीण केसरिआर, अखिलेश्वर केसरिआर, टुपकेश्वर केसरिआर, सुभाष केसरिआर, दिलीप कुमार, बालेश्वर पुनरिआर, उमाचरण गुलिआर, शांति गुलिआर, पीयूस कुमार, राजकिशोर केसरिआर समस्त ग्रामीणों की सराहनीय भूमिका रही।

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