युग बोध के बैनर तले श्रीकृष्ण: रास और राष्ट्र विषयक संगोष्ठी संपन्न

राजा का कोई मित्र और शत्रु नहीं होता-सुरेन्द्र मानपुरी

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। राजा का कोई मित्र और कोई शत्रु नहीं होता। श्रीकृष्ण नायक थे और महाभारत में वे ही दोनों तरफ से लड़ रहे थे। पांडवों की ओर से वे स्वयं थे तो दूसरी ओर कौरवों की ओर से तत्कालीन भारत की सबसे बड़ी और शक्तिशाली नारायणी सेना थी। नायक का कोई शत्रु नहीं होता। सब पर उसकी एक समान नजर रहती है और वह सबको साथ लेकर चलता है। यह था श्रीकृष्ण का नायकत्व।

सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर सत्संग भवन में 3 सितंबर को युग बोध साहित्यिक संस्था द्वारा भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित श्रीकृष्ण: रास एवं राष्ट्र विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध साहित्यकार सुरेन्द्र मानपुरी ने उपरोक्त बातें कहीं। संगोष्ठी की अध्यक्षता मुख्य वक्ता एवं रामसुंदर दास महिला कॉलेज के सचिव तृप्तिनाथ सिंह एवं संचालन युग बोध के संस्थापक संयोजक अवध किशोर शर्मा कर रहे थे।

संगोष्ठी के आरंभ में विषय प्रवेश कराते हुए साहित्यकार व् पत्रकार शर्मा ने भगवान श्रीकृष्ण के रास से राष्ट्र तक की यात्रा का संक्षिप्त वर्णन किया। साहित्यकार मानपुरी ने श्रीकृष्ण के लिए राष्ट्र नायक शब्द के प्रयोग पर काव्य पाठ प्रिय प्रकृति के मातृ जाति प्रशस्ति के सर्वतो भद्रानुशासिनी स्वस्तिके के माध्यम से कहा कि श्रीकृष्ण ने यह वन्दना किसके लिए की।

वे मुरलीधर हैं। गिरधर हैं। परम पुरुष हैं। विश्वात्मा हैं। बाद में जननायक और नए युग के सर्जक और महाभारत युद्ध के व्यूह सूत्रधार भी हैं। पर वे यहां वन्दना उसकी कर रहे हैं जो श्रीकृष्ण की वंदना करती है। उस राधे की वन्दना कर रहा है जो श्रीकृष्ण की आराधिका हैं।

रासलीला कृष्ण और उनके भक्तों के बीच सात्विक बंधन की अमर गाथा-तृप्तिनाथ सिंह

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता तृप्तिनाथ सिंह ने कहा कि राधा और कृष्ण का प्रेम पारलौकिक था। परमात्मा और जीवात्मा का प्रेम था। राधा और गोपियों का समर्पण भाव भक्ति की प्रकाष्ठा थी। उन्होंने कहा कि रासलीला सार्वभौमिक प्रेम के प्रतीक श्रीकृष्ण और उनके भक्तों के बीच सात्विक बंधन की कहानी है। देखिए प्रेम तो ऐसा होता है।

प्रेम न बाड़ी उपजे। एक को प्यार मिला प्यारा नहीं मिला। एक को प्यारा मिला प्यार नहीं मिला। एक को न प्यार मिला न प्यारा मिला। राधा को प्यार मिला, प्यारा नहीं मिला। रूक्मिणी को प्यारा मिला प्यार नहीं मिला। मीरा को न प्यार मिला न प्यारा मिला। मिला तो विष का प्याला मिला।

उन्होंने कहा कि गोपी प्रेम विचित्र प्रेम है। कृष्ण के प्रेम में आकर्षण है। उनकी बंशी में आकर्षण है। उनकी मुरली में आकर्षण है। इसलिए उनकी मुरली के दर्शन को सारी गोपियां उनके साथ हो जाती हैं। उन्होंने रसखान, ताज बेगम की कृष्ण भक्ति का विस्तार से वर्णन किया।

संगोष्ठी को हरिहरक्षेत्र जनजागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह ने श्रीकृष्ण को राष्ट्रनायक बताते हुए कहा कि उनका बहुआयामी चरित्र दुर्लभ था, जो देखने को नहीं मिलता। जन जागरण मंच के अध्यक्ष सतीश प्रसाद साह, सबलपुर के युवा समाजसेवी अविनाश शर्मा ने भी संगोष्ठी में अपने विचार प्रस्तुत किए। इस मौके पर अपने काव्य पाठ के साथ अधिवक्ता एवं कवि लक्ष्मण प्रसाद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

मौके पर मुख्य अतिथि तृप्तिनाथ सिंह, सबलपुर मध्यवर्ती पंचायत के सरपंच दिलीप सिंह, साहित्यकार सारंगधर प्रसाद सिंह, हरिहरक्षेत्र जनजागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह को अपने अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय भूमिका एवं युग बोध के कार्यक्रम में सहभागिता के लिए अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर युग बोध के संस्थापक सदस्य वरीय अधिवक्ता व साहित्यकार विश्वनाथ सिंह, युगबोध के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता अभय कुमार सिंह, अरविंद सिंह, समाजवादी चिंतक ब्रज किशोर शर्मा, राजू सिंह, लालबाबू पटेल, युग बोध के संस्थापक सदस्य शंकर सिंह की सहभागिता रही।

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