लोकार्पण समारोह में काव्य पुस्तक आंच का विमोचन

फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। श्रम दिवस के अवसर पर आयोजित लोकार्पण समारोह में काव्य पुस्तक आंच का विमोचन किया गया। इस पुस्तक को हिंदी की नवोदित कवयित्री सुमिता कुमारी ने लिखा है।

बिहार की राजधानी पटना स्थित अभियंता भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में हिंदी साहित्य के कई सुप्रसिद्ध रचनाकारों एवं कविता प्रेमियों ने हिस्सा लिया। पुस्तक का लोकार्पण आलोक धन्वा, उषा किरण खान, प्रेम कुमार मणि, प्रो. तरुण कुमार तथा सुमिता कुमारी द्वारा किया गया।

इस अवसर पर युवा कवि प्रत्युष चंद्र मिश्रा ने विषय प्रवेश कराते हुए कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की तथा कवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उन्हें कविता पाठ के लिए आमंत्रित किया।

कवयित्री सुमिता ने आँच, बेमौसम बरसात, धान रोपती स्त्रियां, सारंगी वाला, अंतरद्वन्द्व सहित लगभग दर्जन भर कविताओं का पाठ किया तथा रचना प्रक्रिया पर अपने विचार व्यक्त किए।

आयोजित कार्यक्रम में अपने काव्य कृति आंच के लोकार्पण के अवसर पर, अपनी कविताओं का पाठ करने के क्रम में, जब अपनी कविता बेमौसम बरसात की पंक्तियां भींगना पहली बारिश का हो या पहली नजर का …बीमार कर देता है ; पढ़ी, तो उपस्थित जनसमूह ने इसे काफी सराहा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर आलोक धन्वा ने आँच की तारीफ करते हुए नवोदित कवयित्री सुमिता को आशीष देते हुए कहा कि वे अपनी पहली पुस्तक में जीवन एवं ग्रामीण परिवेश की छोटी-छोटी घटनाओं और बातों को भी बड़ी ही सहजता के साथ कविताओं में अभिव्यक्त करती हैं, जो उनकी कविता का प्राणतत्व है।

वरिष्ठ कथाकार एवं साहित्यकार उषा किरण खान ने कहा कि सुमिता कुमारी की कविताओं को पढ़ना बेहद सुखद लगा। उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य के समकालीन दौर में एक संवेदनशील युवा रचनाकार की काव्य कृति में भावनाओं के उन्मुक्त एवं संवेदनशील अभिव्यक्ति को देखकर अच्छा लगा। विदित हो कि, इस पुस्तक की भूमिका उषा किरण खान और ब्लर्ब अरुण कमल ने लिखा है।

यहां प्रोफेसर तरुण कुमार ने मुक्त छंद में अभिव्यक्त भाव पूर्ण कविताओ की तारीफ़ करते हुए गवई, देशज और मगही शब्दों के प्रयोग की सराहना करते हुए भागीदारी, अपराजिता, कलाकार, इस बार राखी में आदि कविताओ का पाठ किया।

युवा कवि नरेन्द्र कुमार ने त्वरित टिपण्णी से सबका ध्यान आकृष्ट किया। युवा कवि किशोर आनंद ने सुमीता कुमारी की रचनाओं को बाहरी और आतंरिक संघर्ष के दबाव से उपजी जीवट की कविताएँ कहा तथा उनकी कविताओं में जीवन-संघर्ष एवं मानवीय मूल्यों की ओर संकेत किया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रेम कुमार मणि ने सुमिता की कविताओं में अरुण कमल के प्रारंभिक कविताओं का अक्श देखते हुए गांज जैसी कई शब्दावलियों से हिंदी का परिचय कराने की भूरी-भूरी प्रशंसा की तथा हिंदी में एक संभावनाशील कवि का स्वागत किया।

विमोचन समारोह में समीर परिमल, मार्कण्डेय राय, अनीश अंकुर ने कविता के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण बातों को रेखांकित किया तथा वर्तमान हिंदी साहित्य की दिशा एवं दशा पर इनके प्रभाव की सार्थक चर्चा की।

कार्यक्रम के अवसर पर युवा चित्रकार और आर्कीटेक्ट आदित्य ने युवा कवयित्री सुमिता की कविताओं पर चित्र प्रदर्शनी भी लगाई। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार और काव्य प्रेमी मौजूद रहे। जिनमें सिधेश्वर, जय प्रकाश, मृत्युंजय अनल, मुकुल कुमार, संजय कुंदन, अखिलेश कुमार, शिवानंद पांडेय, विजय कुमार, शशि रंजन सिंह, आदि।

नीरज कुमार, ओसामा खान, सुजीत वर्मा, सुनील कुमार त्रिपाठी, कृष्ण संमिद्ध, श्याम किशोर, ज्योति स्पर्श, सौम्य शुभम, पलक आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन युवा कवयित्री नीलू अग्रवाल ने की।

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