मुंबई को जर्जर इमारत मुक्त बनाने की राह में रोड़े

मुंबई। डोंगरी (Dongri) में केसरबाई इमारत ढहने (Kesarbai building collapse) के बाद सेस इमारतों के पुनर्विकास का मुद्दा गर्म है। महाराष्ट्र गृहनिर्माण और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) (Mhada) की तरफ से पुनर्विकास परियोजनाओं में तेजी लाने की बात कही गई है, लेकिन जानकारों के मुताबिक जर्जर इमारतों का पुनर्विकास आसान नहीं है। इसकी राह में कई तकनीकी रोड़े हैं, जिनकी वजह से पुनर्विकास परियोजनाओं में देरी होती है। इसके लिए प्रशासन को सबसे पहले टेनेंट, लैंडलॉर्ड और नियमों में सामंजस्य बनाना होगा, तभी यह परियोजनाएं पूरी की जा सकती हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक, मार्च’ 19 तक 3878 सेस इमारतों के पुनर्विकास को अनुमति दी गई थी। इसमें से 1294 पुनर्विकास परियोजनाएं ही पूरी हो पाईं हैं। ऐसे में म्हाडा के 14 हजार से अधिक सेस इमारतों का पुनर्विकास तेजी से करना आसान नहीं है। एक अधिकारी के मुताबिक, पुनर्विकास परियोजनाओं में देरी बिल्डर, टेनेंट और लैंडलॉर्ड की वजह से होती है। कई बार बिल्डर और कुछ टेनेंट के बीच सहमती नहीं हो पाती है। इसकी वजह से भी परियोजनाओं में देरी होती है।

अगर नियमों के तहत बहुसंख्यक टेनेंट की मंजूरी लेने के बाद बिल्डर काम शुरू करते हैं, तो बचे हुए टेनेंट अदालत में चले जाते हैं, फिर परियोजना का काम लंबे समय तक लटका रहता है। अगर बिल्डर और टेनेंट के बीच समझौता हो भी जाता है, तो लैंडलॉर्ड अपने फायदे के लिए काम लटका देते हैं। ऐसे में प्रशासन को टेनेंट सहित सबका हित देखते हुए कठोर कदम उठाने की जरूरत है, जिससे जर्जर इमारतों का पुनर्विकास हो सके और दुर्घटनाओं को रोका जा सके।

नवी मुंबई (Navi Mumbai) परिसर में सिडको द्वारा निवासी, व्यवसायिक व वाणिज्यिक संकुलों का निर्माण बीते 50 वर्षों से जारी है। इन सभी संकुलों में सिडको ने शुरू से लेकर अभी तक करीब 1 लाख 30 हजार से अधिक घर, मकान, दुकान, कार्यालय व अनेक किस्म के गाले बनाए और बेचे हैं। इन घरों, मकानों, दुकानों आदि का निर्माण नवी मुंबई के सभी 14 नोड में सिडको द्वारा किया गया है।

सिडको निर्मित इन संकुलों में आज भी कई फ्लैट, दुकान, गाला व कार्यालय आदि अनबिके रह गए हैं। सूत्रों के अनुसार इनकी संख्या करीब 3,000 है। सिडको इन सभी संपत्तियों की बिक्री तत्कालीन बाजार भाव से करने की कोशिश करती रही है। इसके बावजूद अभी भी करीब 3,000 घर, मकान, दुकान व कार्यालय आदि के खरीदार नहीं मिल पा रहे हैं। इनमें से अधिकांश संपत्तियां नवी मुंबई के उत्तर व दक्षिण दिशा के उपनगरों में स्थित हैं।


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