लॉकडाउन से पहले ही शुरू किया कोरोना कंट्रोल का काम: निधि शिंदे

आनंद मिश्र/ मुंबई।
अगर कोरोना (Coronavirus) के खिलाफ जंग लड़ रहे जन सेवकों और नगर सेवकों का जब भी नाम लिया जाएगा तो उसमें नगरसेवक निधि शिंदे (Nidhi Shinde) और उनके पति प्रमोद शिंदे (Pramod Shinde) जी का नाम सबसे आगे रखा जाएगा। जबसे कोरोना महामारी ने मुंबई में अपने पैर पसारने शुरू किए, उससे पहले से ही इन दोनों दंपतियों ने अपना सब कुछ छोड़ जनता की सेवा में सर्वस्व झोंक दिया। यहां तक कि जब बाकी नगरसेवक बीएमसी के गाइडलाइंस का इंतजार कर रहे थे, शिंदे दंपति ने खुद के पैसे से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने का हथियार इकट्ठा किया और शुरू हो गए समाज सेवा में। वार्ड क्रमांक 140 से पहली दफा ही चुनकर महानगर पालिका के हाउस में पहुंची 42 वर्षीय श्रीमती निधि शिंदे अपने चुनाव क्षेत्र आणिक गाँव, विष्णु नगर, प्रयाग नगर, एमएसईबी कॉलोनी, एचपीसीएल कॉलोनी जैसे एरिया में तमाम समाजोपयोगी कार्य किए हैं। प्रभाग समिति की पूर्व अध्यक्ष रह चुकीं श्रीमती शिंदे के चुनावी एरिया की 40% जनता पहाड़ी इलाकों में बसती है जो चुनौतियों को बढ़ाने का काम करती है। कोरोना से उपजे हालात पर श्रीमती निधि शिंदे से बातचीत की हमारे संवाददाता आनंद मिश्र ने। मुख्य अंश
Nidhi Shinde

सवाल: मैडम सबसे पहले तो आप यह बताइए कि आपकी एरिया में कोरोना की क्या स्थिति है?
जवाब: स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है करीब 90% कोरोना के मरीज स्वस्थ होकर अपने घर वापस आ चुके हैं अब हफ्ते में कोई एक या दो केसेज आ रहे हैं। इसका श्रेय जाता है हमारी एरिया में यह गए बीएमसी और शिवसैनिकों के मिले-जुले योगदान को जिसमें अन्य पार्टियों और सामाजिक संगठनों की भूमिका भी काबिले-तारीफ रही है।

सवाल: आपने बतौर जनप्रतिनिधि कोरोना कंट्रोल के लिए क्या किया?
जवाब: देखा जाए तो लॉकडाउन लगने से पहले ही प्रीवेंटिव मेजर लेने का काम सर्वप्रथम मैंने ही किया था। मैंने अपने डॉक्टर पति श्री प्रमोद शिंदे जी की सहायता से मेडिकल कैंप लगाकर लोगों का प्रबोधन करना शुरू किया और यहां तक कि लॉकडाउन लगने से पहले, जब माननीय श्री उद्धव ठाकरे जी ने सभी पब्लिक गैदरिंग को रोक देने का आवाहन किया था, तभी हमने जान लिया था कि आने वाले दिनों में हमारी भूमिका और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाली है। फिर हम दोनों ने मिलकर खुद के खर्चे से, बिना बीएमसी (BMC) के गाइडलाइंस का इंतजार किए, 15 सैनिटाइजेशन मशीन खरीदी और उसके लिए 1000 लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट भी खरीदा। हमने कोरोना के खिलाफ एक युद्ध छेड़ दिया और ये मशीन उस युद्ध से लड़ने के लिए एक कारगर हथियार साबित हुए। बीएमसी से सामंजस्य स्थापित कर हमने एक टीम बनाई और सभी एरिया में 15 मशीन बांटकर टीम के सुपुर्द कर दिया जहां दिन में तीन से चार बार सैनिटाइजिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई। हमने देखा कि बीएमसी के कर्मियों पर कामकाज का काफी लोड है, इसलिए इस अभियान में हमने खुद को तथा अन्य शिवसैनिकों को उतार दिया। हमें सफलता मिलती देख, हमने 5 और मशीन खरीदी ली और इस तरह कुल 20 मशीन आज हमारे एरिया के कोने कोने में सैनिटाइजिंग के काम में लगे हुए हैं। मैं भी कहना चाहूंगी कि इसमें स्थानीय स्वयंसेवक अन्य पार्टियों के लोग भी आगे आकर अपना सहयोग दे रहे हैं।

सवाल: पर कुछ लोग तो बीएमसी के कामकाज पर सवालिया निशान लगा रहे हैं?
जवाब: ऐसे सवालिया निशान लगाने वाले लोगों को इतनी बड़ी महामारी और उसकी भयावहता की शायद जानकारी नहीं है। जिस शहर में एक करोड़ 40 लाख से ज्यादा लोग रहते हो और उनमें से आधे लोग झुग्गी, स्लम की झोपड़ियों, बस्तियों और पहाड़ियों पर बसते हों, उन तक अपनी सेवाएं पहुंचाना और खासकर कोरोना जैसे अदृश्य दुश्मन के खिलाफ लड़ना बहुत ही चुनौती भरा काम है और बीएमसी ने इसे कर दिखाया है। मैं तो कहूंगा किया बीएमसी है जिसकी वजह से आज हम सभी सुरक्षित हैं। बीएमसी के अलावा पुलिसकर्मियों, हेल्थ वर्करों, सफाई कर्मियों, बेस्ट कर्मियों आदि सभी का हमें शुक्रगुजार होना चाहिए जिन लोगों ने खुद को खतरे में डालकर मानवता की सेवा में अपने आप को 24X7 झोंक दिया है। जहां तक बीएमसी की कार्य क्षमता का प्रश्न है मैंने खुद अपने एरिया में रात को 2 बजे भी अस्पतालों में लोगों का एडमिशन कराया है। एक फोन कॉल पर बीएमसी की टीम लोगों तक पहुंच जा रही है। हो सकता है कुछ खामियां हो परंतु इतने बड़े संकट से लड़ना अपने आप में एक बड़ी बात है।

सवाल: और आपने व्यक्तिगत स्तर पर क्या क्या जनसेवा का काम किया ?
जवाब: जी अच्छा सवाल किया आपने। सबसे पहले तो हमने यह तय किया कि हमारे वार्ड में कोई भूखा नहीं सोएगा। इसके लिए हमने अलग-अलग जगहों से अपने कार्यकर्ताओं से संपर्क साधा और उनकी एक टीम बनाई। फिर  ऐसे लोगों को चिन्हित किया जो दो वक्त की रोटी के लिए परेशान हो सकते थे। इसमें हमने दूसरी पार्टियों और सोशल वर्करो से मदद ली। फिर सभी डिस्ट्रेस्ड लोगों जैसे कि विधवाओं, अपाहिजों, टैक्सी और रिक्शा चलाने वाले लोगों के लिए दोपहर में और रात में खाने का इंतजाम किया और साथ ही साथ जरूरतमंदों को राशन के किट भी वितरित किए। यहां तक कि लॉकडाउन हटने के बाद भी हमारे यहां से रोज सुबह 500 लोगों को खाना बांटा जा रहा है। इस समाज सेवा में हमारे खासदार राहुल शेवाले जी की भी तरफ से काफी सहयोग और प्रेरणा मिली।

सवाल: आप अपना प्रेरणा स्रोत किसे मानती हैं?
जवाब: छत्रपति शिवाजी महाराज और स्वर्गीय श्री बालासाहेब ठाकरे को मैं अपना प्रेरणास्रोत मानती हूं। तत्पश्चात श्री उद्धव ठाकरे जी का मार्ग निर्देशन और अपने पति श्री प्रमोद शिंदे जी के सहयोग से मैं समाज सेवा के कार्यक्रम करती आ रही हूं। अपने पति के ही सहयोग से मैंने अपने एरिया में कई मेडिकल कैंप कराएं जिसके जरिये लोगों को इस महामारी के बारे में शुरुआती जनजागरूकता रैली। उनके ही मार्ग निर्देशन में मैंने ऑक्सीजन लेवल चेक करने के लिए ऑक्सीमीटर, इंफ्रा रेड थर्मोमीटर, मास्क, सैनीटाईजर आदि उपकरण मंगाए और अपने कार्यकर्ताओं के साथ घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की।  कोरोना फैलने का एक महत्वपूर्ण स्पॉट टॉयलेट होता है और वहां तथा आसपास के एरिया में सैनिटाइजेशन को सुनिश्चित कराने के लिए हमने विशेष कदम उठाए हैं। मैं दुआ करती हूं कि इस महामारी से जल्द ही हम सबको निजात मिलेगी और हम सभी पहले जैसी खुशियों की दुनियाँ में लौटेंगे।

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