मुंबई में 22 हजार नए शौचालय

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अतिमहत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ अंतर्गत मुंबई में 22 हजार 774 सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचाल के निर्माण का रास्ता साफ़ हो गया है। इस संदर्भ में प्रशासन की तरफ से तैयार किये गए प्रस्ताव को स्थायी समिति ने हरी झंडी दे दी है। इस प्रस्ताव को पिछले पांच सप्ताह से किसी तरह की चर्चा व कारण बताये ही रोक कर रखा गया था, लेकिन गत दिवस स्थायी समिति के अध्यक्ष यशवंत जाधव ने इस प्रस्ताव पर कोई चर्चा कराये बगैर ही मंजूरी दे दी।

प्रस्ताव में खामियां बतायी जा रही थी, लेकिन प्रस्ताव को मंजूर करते समय किसी भी सदस्य ने आपत्ति नहीं जतायी। प्रस्ताव क्यों रोक कर रखा गया था इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मनपा प्रशासन की तरफ से शौचालय का प्रस्ताव 19 दिसंबर 2018 को स्थायी समिति के समक्ष पेश किया गया था। प्रस्ताव पेश किये जाने के बाद से स्थायी समिति की चार से पांच बैठक हुई लेकिन इस पर कोई भी चर्चा नहीं करायी गयी। प्रस्ताव में कथित रूप से खामियों की वजह से चर्चा के समय विवाद होने की संभवना जतायी जा रही थी।

लेकिन स्थगित प्रस्ताव पर किसी चर्चा के ही अध्यक्ष यशवंत जाधव ने मंजूरी दे दी। मुंबई के सभी विभागों में आर.सी.सी शौचालयों का नियोजन, संकल्पचित्र व निर्माण के साथ ही सेफ्टी टैंक की सफाई करने के लिए मनपा ने निविदा प्रक्रिया पूरी की थी। प्रस्ताव के तहत मनपा क्षेत्र में 22 हजार 774 सीट्स के शौचालय बनाये जाने हैं। एक मंजिला के साथ ही दो मंजिला शौचालय का निर्माण किया जाना है।

18 से 25 प्रतिशत अधिक दर पर ठेका दिया जा रहा है। विधि एंटरप्रायजेस, एपीआई सिविलकॉन प्रा.लि, वीएनसी इन्फ्राप्रोजेक्ट इन कंपनियों को तीन -तीन वार्ड का काम तो एम.एम. कन्स्ट्रक्शन, एसी कार्पोरेशन एवं डी.बी.इन्फ्राटेक को दो-दो विभागों का काम सौंपा गया है. 8 वार्डों के लिए अलग से ठेकेदारों की नियुक्ति की जानी है।शौचालयों के निर्माण का प्रस्ताव इसके पहले भी स्थायी समिति के समक्ष पेश किया गया था, तब नगरसेवकों ने प्रस्ताव को मंजूरी देने से इंकार कर दिया था।

भाजपा के गुट नेता मनोज कोटक ने आरोप लगाया था कि शौचालयों के निर्माण में प्रशासन उदासीन है। कोटक ने शौचालयों के निर्माण को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की थी। जबकि मनपा में विपक्ष के नेता रवि राजा ने शौचालयों में घटिया दर्जे की सामग्री उपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि मुंबई के बहुत से शौचालय 18 साल से अधिक पुराने हैं, एक शौचालय के निर्माण में लगभग 50 लाख रुपए खर्च होते हैं, लेकिन निर्माण कार्य बहुत ही घटिया होता है। उस समय स्थायी समिति अध्यक्ष यशवंत जाधव ने भी नाराजगी जतायी थी।

 


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