गाल्होवार में झारखंडी भाषा संघर्ष समिति खतियानी का महाजुटान

1932 के खतियान आधार पर स्थानीय नियोजन नीति व उद्योग नीति की मांग

धीरज शर्मा/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड (Vishnugarh block) के हद में गाल्होवार पंचायत स्थित उच्च विद्यालय फुटबॉल मैदान में एक अप्रैल को झारखंडी भाषा संघर्ष समिति खतियान महा जुटान का आयोजन किया गया। मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय महिला पुरुष रहिवासी उपस्थित थे।

इस अवसर पर झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के नेता टाइगर जयराम महतो ने कहा कि झारखंड अब 21 साल का हो चुका है। झारखंड में परिवर्तन लाने का समय है। हमें अपने हक और अधिकार के लिए सामूहिक रूप से लड़ने की जरूरत है।

यह लड़ाई अपने झारखंड की भाषा, माटी, सांस्कृति एवं अपने पहचान को बचाए रखने के लिए एक संवैधानिक लड़ाई है, इसमें पूरे झारखंड के युवा, नौजवान, माताएं एवं बहनो को सामने आना होगा। उन्होंने कहा कि झारखंड के आंदोलनकारी शहीद निर्मल महतो, बिनोद बिहारी महतो, बिरसा मुंडा के सपनों को मिटाने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गाल्होवार खरकी पंचायत के सोहर महतो, मोहर महतो, शनिचर महतो, केवल महतो, बोधी महतो इत्यादि शहीद आंदोलनकारियों ने झारखंड राज्य आंदोलन में अपना योगदान दिया है। उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हैं। उनके सपनों को साकार करने के लिए एवं झारखंड को बचाए रखने के लिए टाइपिंग की-बोर्ड मेरा पहला लक्ष्य हैं।

उन्होने सरकार (Government) से सीधी मांगे झारखंड में 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय नियोजन नीति व उद्योग नीति की मांग की। साथ ही कहा कि अब झारखंड में मनमाने नीति की राजनीति नहीं चलेगी।

राज्य सरकार (State Government) कितनी भी कोशिश कर ले, झारखंड में झारखंडियों के हित में 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति के साथ-साथ उद्योग व विस्थापन नीति को जल्द से जल्द लागू करना होगा।

क्रांतिकारी नेता महतो ने संशोधन में यह भी कहा कि झारखंड में झारखंडियों के हित और विकास पर सरकार झारखंडीयों के जमीन में कोई कारखाना या फैक्ट्री निर्माण करे, तो सरकार को अब उसका मुआवजा और नौकरी नही बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी आधे हिस्से की किराया देनी होगी।

झारखंडी भाषा संघर्ष समिति में उभरता दूसरा चेहरा मोती लाल महतो ने कहा कि झारखंड का पहला सर्वे 11 नवंबर 1908, दूसरा 1932, तीसरा 1954 तथा चौथा 1964 को झारखंड में 80 से 85 प्रतिशत इलाकों में सर्वे हुई थी। इसलिए हम लोगों को पूर्ण हक है 1932 के खतियान पर। 1932 खतियान ही लक्ष्य है।

तब तक न रुकेंगे, ना झुकेंगे। यहां प्रेमचंद साहू, उमेश कुमार, आदर्श, जितेंद्र साव, इस्तियाक अंसारी, दिपक कुमार, संतोष मेहता, सन्नी पटेल, मुखिया डॉ रितलाल महतो, पंसस छोटी शर्मा, उप मुखिया लखन महतो, हुलास महतो, रामचंद्र महतो, सरजू पटेल, उमेश महतो, संजय महतो, लक्की कुमार, मिश्री लाल महतो, सिकंदर अली, डेगलाल महतो, मनोज शर्मा सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण रहिवासी उपस्थित थे।

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