गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। गंगा और गंडक के संगम पर बसा वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर जो बिहार की राजधानी पटना का जुड़वा शहर है। यहां बढ़ती जनसंख्या और नागरिक सुविधाओं की कमी की वजह से वह भी प्रशासनिक लापरवाही की वजह से यहां का वायु प्रदूषण काफी खतरनाक हो गई है।
शर्द ऋतु की शुरुआत के इस मौसम में पहली बार हाजीपुर शहर की हवा इतनी बिगड़ी है। बीते 13 नवंबर को राज्य में सबसे ज्यादा खराब स्थिति हाजीपुर की रही। यहां हो रहे सड़क निर्माण में प्रदूषण मानकों का पालन नहीं करने के कारण वायु प्रदूषण की मात्रा 431 पर पहुंच गई, जबकि 14 नवंबर को वायु प्रदूषण की मात्रा दिल्ली की जहां 418 थी तो हाजीपुर का 417 यानी दिल्ली के बराबर। यह मानव स्वास्थ्य के लिए काफी गंभीर माना जाता है।
वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर शहर के स्टेशन एरिया, गांधी आश्रम, पोखरा मोहल्ला, कचहरी परिसर, सदर अस्पताल रोड, बाघ दुल्हन, पोखरा मोहल्ला की स्थिति सबसे ज्यादा भयावाह है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के अवसर पर लाखों तीर्थ यात्री हाजीपुर कौनहारा घाट स्नान के लिए पहुंच चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से किसी भी सड़क पर धूल कण के बचाव के लिए पानी का छिड़काव नहीं किया गया।
ना ही हाजीपुर शहर के मार्गों की सफाई की गई। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सिर्फ गंडक के स्नान घाटों का सफाई और निरिक्षण का रोज विज्ञप्ति जारी किया गया, लेकिन हाजीपुर शहर की जो वर्तमान दुर्दशा है, इस पर ना तो जिला पदाधिकारी या नगर परिषद के पदाधिकारी और ना ही यहां के सामाजिक, राजनीतिक नेता जो सत्ता में बैठे हैं किसी का ध्यान नहीं गया। जिससे खासकर हाजीपुर के रहिवासी इस वायु प्रदूषण के घुटन में जीने को मजबूर हैं।
वैशाली जिले के सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता अमर कुमार गुड्डू ने वैशाली जिले खासकर हाजीपुर शहर में बढ़ रही वायु प्रदूषण की समस्या पर बातचीत करते हुए बताया कि बीते 25 वर्षों में हाजीपुर शहर की आबादी दुगनी हो गई है, लेकिन नागरिक सुविधाओं में कोई भी विस्तार नहीं किया गया।
अधिवक्ता गुड्डू ने अफसोस जाहिर करने के साथ कहा कि हाजीपुर शहर से नित्यानंद राय और चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं और हाजीपुर शहर पर गत 30 वर्षों से भाजपा का कब्जा है। साथ ही बिहार के विरोधी दल के नेता तेजस्वी यादव का चुनाव क्षेत्र भी वैशाली जिले के राघोपुर ही है। बावजूद इसके हाजीपुर शहर की हालत बद से बदतर हो गई है। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा हाजीपुर शहर के विकास के लिए अभी तक अरबों रुपए दिए गए, लेकिन कोई भी कार्य योजनाबद्ध तरीके से नहीं किया गया, जिसका नतीजा सामने है।
अधिवक्ता गुड्डू के अनुसार नमामि गंगे परियोजना के तहत हाजीपुर में चार-पांच वर्षों से कार्य चल रहा है। यह कब पूरा होगा इसका पता नहीं है। उन्होंने बताया कि हाजीपुर शहर अनोखा शहर है, जिसके नगर पालिका के नाले को नगर परिषद के पूर्व अध्यक्षों ने दुकानदारों को अपना रोजगार करने के लिए दे दिया और नाले के ऊपर हॉस्पिटल रोड, कचहरी रोड, सिनेमा रोड इत्यादि में दुकान बना है। जिस वजह से नाले की सही से सफाई नहीं हो पाती है।
उन्होंने बताया कि हाजीपुर शहर के प्रदूषण में यहां के रहिवासियों का भी अहम योगदान है। स्टेशन के सामने जितने भी होटल वाले हैं, वे सभी अपने होटल का कचरा नाले में डालते हैं। जिससे यहां प्रदूषण फैलता है। नगर परिषद द्वारा सफाई का जिम्मा जिस संस्था को दिया गया है, जिस वजह से शहर की सफाई व्यवस्था राम भरोसे हैं।
उन्होंने बताया कि हाजीपुर नगर पालिका द्वारा जितने भी सार्वजनिक शौचालय या मूत्रालय बनाए गए हैं, उसे बनाने के बाद कभी उसकी सफाई पर ध्यान नहीं दिया जाता, जिस वजह से वहां गंदगी का अंबार लगा है। नगर परिषद द्वारा कचरा निस्तारण के लिए कोई डंपिंग जगह नहीं बनाया गया है और हाजीपुर का कचरा महुआ रोड या हाजीपुर मुजफ्फरपुर हाईवे के किनारे डाला जाता है।
वहां कचरे को जलाया जाता है, जिस वजह से यहां वायु प्रदूषण की मात्रा अधिक है। साथ ही मोहल्ले में सफाई की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है, जिस वजह से हर मोहल्ले में कचरा महीनो डंप होता है और उसके दुर्गंध से रहिवासियों तथा राहगीरों का जीना मुहाल है।
इस संबंध में स्थानीय एक चिकित्सक ने बताया कि एयर क्वालिटी खराब श्रेणी में होने पर सांस लेने में समस्या हो सकती है। जिससे फेफड़े, अस्थमा और हृदय रोग से पीड़ित मरीजों को ज्यादा परेशानी हो सकती है। यदि प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो यहां के रहिवासियों की औसत आयु आठ से दस वर्ष कम हो जाएगी।
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