धनबाद मंडल कारा के जेलर एवं सभी पांचो कक्षपालों को बर्खास्त करें सरकार-विजय

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। धनबाद मंडल कारा के जेलर एवं सभी पांचो कक्षपालों को निलंबित नहीं बल्कि तुरंत सेवा से बर्खास्त करें हेमंत सोरेन सरकार, ताकि आने वाले दिनों में ऐसी घटना को अंजाम देने से पूर्व भ्रष्ट पदाधिकारी इससे सबक ले सके।

उपरोक्त बातें 5 दिसंबर को झारखंड बचाओ मोर्चा के वरिष्ठ नेता सह पुर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड की राजधानी रांची में कही। उन्होंने कहा कि धनबाद जेल में किए गए हत्या के दोषी हत्यारो को तुरंत फास्ट ट्रैक के माध्यम से अविलंब सजा सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

यह राज्य के लिए गंभीर विषय है कि हाई सिक्योरिटी वाले जेल में फायर आर्म्स पिस्तौल एक नहीं दो दो कैसे पहुंचा। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी को कैसे गोली मार कर हत्या कर दी गई? जेल की सुरक्षा में कैसे चूक हुई? उसके क्या कारण थे।

इसकी जांच उच्च स्तरीय सेवा निवृत पांच सदस्यीय न्यायाधीशों से कराया जाना चाहिए और धनबाद के जेलर तथा सभी पांचो कक्षपालों के निजी चल अचल संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए।

नायक ने कहा कि झारखंड के जिलों की स्थिति बहुत ही खराब है। कहा कि राज्य में कुल 31 जेल है, जिसमें 802 महिला समेत कुल 19041 बंदीयो को रखा गया है। इनमें 5248 सजायाफ्ता कैदी है, और 13793 विचाराधीन कैदी बंदी हैं।

राज्य मे 7 केंद्रीय कारागार है। 16 जिला जेल, 7 सब-डिविजनल और एक ओपन जेल है। इन 31 जेलों में 19 जेल में क्षमता से अत्यधिक बंदी हैं। चतरा व लातेहार जिला में लगभग तीन गुना अधिक कैदी बंद है। राज्य के 16 जिला जेल में क्षमता से लगभग तीन गुना अधिक बंदी बंद है, जबकि गुमला में दोगुना से अधिक कैदी बंद है।

सेंट्रल जेल देवघर, दुमका के घाघीडीह व मेदिनीनगर की स्थिति भी अच्छी नहीं है। देवघर में 335 की क्षमता के विरुद्ध 452 कैदी बंद है। इनमें से 126 सजायाफ्ता है और 326 विचाराधीन। कहा कि दुमका में 709 सजायाफ्ता और 549 विचाराधीन कैदी है। रांची के होटवार केंद्रीय कारागार में सबसे अधिक 3355 बंदी है, जिसमे 1388 सजायाफ्ता है।

दूसरे नंबर पर हजारीबाग का सेंट्रल जेल है, जहां 1821 में से कुल 1078 सजायाफ्ता। कैदियों की संख्या 1036 विचाराधीन कैदी है। यहां कुलबंदी 1885 है, जो चिंता का विषय है। नायक ने कहा कि राज्य सरकार और सभी न्यायालयो को इस बिन्दु पर गंभीर विचार करना चाहिए, ताकि कैदियों की संख्या कम किया जा सके।

नायक ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य में अनुसूचित जाति वर्गों के खिलाफ एवं बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है। इसकी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट वर्ष 2022 में इस बात की पुष्टि की गयी है। साथ ही साथ झारखंड पुलिस की कार्रवाई के बाद सजा का प्रतिशत मात्र 29.4 फ़ीसदी है, जो काफी कम और चिंताजनक है।

पुलिस सहायता केंद्र डायल 112 की भी स्थिति बहुत ही दयनीय है। पुलिस तुरंत रिस्पांस नहीं करती है जो गंभीर विषय है। इन बिंदुओं पर सरकार तुरंत कार्रवाई करें और जनता को न्याय देने की दिशा में ठोस कार्रवाई करें तभी जनता का भला होगा और अपराधियों के अपराध में लगाम लगेगी।

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