खाद्य संयम दिवस के साथ चास में पर्युषण महापर्व पर प्रवचन कार्यक्रम

आत्मशोधन का सशक्त माध्यम है पर्युषण महापर्व-उपासिका बोथरा

एस. पी. सक्सेना/ बोकारो। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में 12 सितंबर को बोकारो के उपनगर चास स्थित गुजरात कॉलोनी में पर्युषण महापर्व उत्साहपूर्ण वातावरण में प्रारम्भ किया गया। उक्त जानकारी तेरापंथ समाज के मीडिया प्रभारी सुरेश बोथरा ने दी।

उन्होंने बताया कि परम पावन पूज्य गुरुदेव आचार्य महाश्रमणजी की महती कृपा से चास में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में पर्युषण महापर्व उत्साहपूर्ण वातावरण में शुरू किया गया। नौ दिवसीय इस महापर्व की शुरुआत खाद्य संयम दिवस के साथ किया गया। विशेष यह कि इस वर्ष भी यहां प्रवचन कार्यक्रम के साथ पर्युषण महापर्व आयोजित किया जा रहा है।

इस बार धर्म का अलख जगाने हेतु गुरुआज्ञा से उपासिका वीणा बोथरा एवं ममता बोथरा का आगमन हुआ। उपासिका द्वय के सानिध्य में चास के गुजरात कॉलोनी माणकचन्दजी छालाणी भवन में 12 से 20 सितंबर तक यह महापर्व आयोजित हो रहा है। इसके तहत प्रवचन सुबह में 9 से 10 बजे एवं संध्या में 8.30 से 9.30 बजे तक आयोजित किया जा रहा है।

बोथरा ने बताया कि प्रवचन के प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उपासिका द्वय ने कहा कि नौ दिनों का यह महापर्व अपने-आप में आत्मशोधन का सशक्त माध्यम है। उन्होंने स्वस्थ रहने के लिए कम खाने तथा जिह्वा पर संयम रखने की प्रेरणा दी। कहा कि अधिक आहार से उत्तम स्वास्थ्य, दीर्घ जीवन और स्वर्ग, ये तीनों कामनाएं विनष्ट हो जाती है। कहा कि प्रत्येक प्राणी को एक सीमा में रहकर खाने का संयम रखना चाहिए।

उपासिका द्वय ने पर्यूषण आराधना की प्रत्येक नौ साधनाओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने प्रतिदिन तीन सामायिक, एक-दो घंटा मौन, एक घंटा स्वाध्याय, नौ द्रव्यों से अधिक खाने का त्याग, ब्रह्मचर्य का पालन, सचित्त और जमीकंद खाने का त्याग, जप, ध्यान करने, रात्रि भोजन के परिहार, सिनेमा आदि के परिहार का संदेश दिया। प्रवचन में उपासिका द्वय ने कहा कि जैसे बलवान पर धावा बोलने के लिए बल का संचय आवश्यक है,।

उसी प्रकार रागादि शत्रुओं के घात के लिए सात दिन आध्यात्मिक बल संग्रह को समझना चाहिए। यह पर्व मात्र जैन संस्कृति का ही नहीं, मानव संस्कृति का पर्व है। श्रावक को अपने जीवन में खाद्य और अन्य भोगोपभोग विषयक प्रवृत्तियों में मर्यादा निश्चित करनी चाहिए। कहा कि संयम से ही जीवन अनुशासित रहता है।

उपसिका द्वय ने बताया कि भगवान महावीर ने चातुर्मास के 50 दिन बीतने पर और 70 दिन बाकी रहने पर पर्यूषण पर्व की आराधना की थी। ऐसा संभवायांग में उल्लेख है।

मीडिया प्रभारी ने बताया कि पर्यूषण पर्व के दौरान 12 सितम्बर को खाद्य संयम दिवस के बाद 13 सितंबर को स्वाध्याय दिवस, 14 सितंबर को सामायिक दिवस, 15 सितंबर को वाणी संयम दिवस, 16 सितंबर को अनुव्रत चेतना दिवस, 17 सितंबर को जप दिवस, 18 सितंबर को ध्यान दिवस, 19 सितंबर को संवत्सरी महापर्व तथा 20 सितंबर को क्षमापना दिवस के साथ इस नौदिवसीय पर्व का समापन होगा।

पहले दिन प्रवचन के अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष शांतिलाल लोढ़ा, मंत्री प्रकाश कोठारी, तेरापंथ महिला मंडल के अध्यक्ष कनक जैन, मंत्री आरती पारख एवं तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष सिध्दार्थ चोरड़िया तथा गौरव लोढा सहित जयचंद, सुशील, राजू, अरिहंत, शशि, रेणु चौरड़िया, सरोज छलानी आदि उपस्थित थे।

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