आंदोलनकारी जयपाल सिंह मुंडा एवं सावित्रीबाई फुले की जयंती मनी

प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। पेटरवार प्रखंड के हद में चलकरी दक्षिणी पंचायत के बाघाटुंगरी पहाड़ पर 3 जनवरी को झारखंड आंदोलनकारियों ने मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा एवं भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती एक साथ मनाई गयी।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता उक्त पंचायत के मुखिया पति दुर्गा सोरेन और संचालन राजेश गिरी ने किया। यहां उपस्थित झारखंड के आंदोलनकारी नेता काशीनाथ केवट ने मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा और सावित्रीबाई फुले दोनों महान पुण्यात्माओं को नमन करते हुए कहा कि वर्ष 1938 में जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी महासभा की स्थापना कर अलग झारखंड राज्य की अवधारणा पेश की थी।

इसके उपरांत हीं वे देश में आदिवासियों के अधिकारों की आवाज बन गए। संविधान सभा में भी बेहद वाकपटुता से देश के आदिवासियों के बारे में सकारात्मक ढंग से अपनी बातें रखी थी। केवट ने प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर चर्चा करते हुए कहा कि देश की महिलाओं की प्रेरणा स्रोत सावित्रीबाई फुले को पहली महिला शिक्षिका होने का श्रेय जाता है।

उन्होंने कहा कि झारखंड के गठन हुए 24 बीत गए लेकिन झारखंड को अलग राज्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों को आज भी मान-सम्मान के लिए लड़ाई लड़ना पर रहा है। इस 24 वर्ष के अंतराल में सरकारें आती जाती रहीं, लेकिन जो भी सरकारें बनी,आंदोलनकारियों को चिन्हित करने की पहल ईमानदारी से नहीं कर सकी। यही कारण है कि अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर लंबी लड़ाई लड़ने वाले झारखंड के आंदोलनकारी अपने आपको ठगा सा महसूस कर रहे हैं।

केवट ने कहा कि आज झारखंड के राजनैतिक आकाश में काले बादल मंडरा रहा है। केंद्र व राज्य सरकारों के बीच शह और मात का खेल निरंतर जारी है, जिसका नुकसान का खामियाजा राज्य की जनता को भुगतना पर रहा है। उन्होंने सरकार से मांग किया कि झारखंड आंदोलनकारियों की समुचित तौर पर चिन्हितिकरण के कार्य को तेज और त्वरित गति दिया जाए। साथ ही आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानियों के समतुल्य सम्मान व सुविधाएं मुहैया कराया जाना चाहिए।

झारखंड आंदोलनकारी पंचानन मंडल एवं जनक प्रसाद भगत ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड आंदोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप झारखंड का नवनिर्माण करें एवं इनके मान-सम्मान व पहचान को सुनिश्चित करे।

मौके पर इंद्रदेव सिंह, राजेश गिरी, धर्मनाथ महतो, दीनू गंझू, नारायण घांसी, महेश गिरी, करमा मांझी, भगत केवट, चरकू मांझी, कामेश्वर गिरी, गोपाल गंझू, मो. जहांगीर, बिरसा मांझी, द्वारिका गिरी, धनेश्वर मांझी, प्रबल सिंह, नेहरुलाल बास्के, बाबुचन्द मांझी, प्रदीप गिरी, दीपक कुमार गंझू आदि उपस्थित थे।

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