कलाम पुरस्कार से सम्मानित किये गये बगोदर के विनय

अशोक सिंह/बगोदर (गिरिडीह)। देश के पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन के नाम से विख्यात डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की सातवीं पुण्यतिथि पर कलाम टीम की ओर से बिहार की राजधानी पटना के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में झारखंड के विनय कुमार शामिल हुए। इस सम्मेलन में देश के अलावा विदेशों से भी कई युवाओं ने अपना प्रतिनिधित्व किया। यहां विनय कुमार को कलाम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

ज्ञात हो कि, पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम देश के प्रति कई ऐसे तथ्य छोड़ गए जिसे आज की युवाओं को प्रेरणा देती है वा युवा प्रेरित होकर उस राह पर चलने का प्रयास कर रहे हैं।

सम्मेलन में विनय ने बेरोजगारी, भ्रष्टाचार एवं शिक्षा तथा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास को लेकर कई बातों को रखा, जिसमें बताया गया कि हमारे देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी ग्रामीण इलाकों में निवास करती है, परंतु वर्तमान समय में किसी गांव की अगर सर्वेक्षण किया जाए तो वहां पुरुषों की संख्या महिलाओं की अपेक्षा कम दिखेगी।

देश को आजादी मिलने के बाद से सभी पंचवर्षीय और वार्षिक योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्रों के रहिवासियों की हालत में सुधार लाने के लिये अनेक कार्यक्रमों को चलाने पर जोर दिया गया। काफी प्रयासों के बाद भी युवाओं को रोजगार से वंचित रखा जा रहा है, जिससे वह दूसरे राज्य एवं देश के लिए पलायन करने पर मजबूर है।

उन्होंने कहा कि पिछले 50 वर्षों के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के रहिवासियों के जीवन में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया। अब भी गाँवों में पर्याप्त बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं। देश के बहुत से क्षेत्रों में अब भी ऐसे अनेक गाँव हैं जहाँ आस-पास के इलाकों का सड़कों से सम्पर्क नहीं हो पाता।

उन इलाकों के रहिवासियों को आस-पास के शहरों तक जाने के लिये तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आज उपग्रहों के माध्यम से संचार सुविधाएँ इतनी बढ़ गई हैं कि भूमण्डल की कौन कहे, अन्य ग्रहों तक संचार सम्पर्क होने लगा है।

समूचे विश्व में जहाँ संचार क्रान्ति का लोग लाभ उठा रहे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी बहुत से गाँव ऐसे हैं जहाँ टेलीफोन की लाइनें तक नहीं पहुँच पाई हैं। वहाँ के लोगों को अपने निकट सम्बन्धियों से टेलीफोन के जरिये बातचीत करने के लिये कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। तभी वार्ता सम्भव हो पाती है।

आज भी देश के कुछ इलाकों में ऐसे गाँव है, जहाँ डाकिया हफ्ते या 15 दिन में एक बार चिटिठ्याँ लेकर पहुँचता है। देश के शहरी भागों में जहाँ चारों ओर फव्वारे देखने को मिलते हैं, वहीं गाँवों में पीने के पानी की तंगी कुछ इलाकों में अब भी पाई जाती है। रेगिस्तानी और पहाड़ी इलाकों में सिर पर घड़े या गागर रखकर कई किलोमीटर चलने के बाद ही पानी का स्रोत उपलब्ध हो पाता है।

कुछ परिवारों में तो परिवार के एक या दो सदस्य पानी उपलब्ध कराने के काम में सारा दिन जुटे रहते हैं। जहाँ देश के शहरी भागों में बिजली की जगमगाहट देखने को मिलती है, आज भी बहुत से गाँव ऐसे हैं जहाँ के रहिवासियों को लालटेन या दीप जलाकर घर में रोशनी करनी पड़ती है। यह बहुत निंदनीय है। हमारे भारत देश का विकास होना तब तक संभव नहीं है, जब तक कि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास ना हो जाए।

विनय ने अपनी यूथ पॉलिसी (Youth Policy) में विशेष प्रकार के विचार साझा किए, जिसमे उन्हें मुख्य अतिथि डॉ अर्चना भट्टाचार्य, राजन कुमार, शुभरो रॉय एवं मुन्ना कुमार के द्वारा डॉ कलाम अप्रिसिशन अवार्ड तथा विजनरी अवार्ड से सम्मानित किया गया। विनय एक युवा हैं तथा उदय भारत नामक एक संगठन का भी नेतृत्व कर रहे हैं, जिसके माध्यम से समाज को बदलाव की ओर ले जाने के लिए प्रयासरत हैं।

 144 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *