एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। लोक आस्था का महापर्व छठ 5 नवंबर से शुरू हो गया है। यह पर्व बोकारो जिला के हद में बेरमो कोयलांचल में जोरशोर के साथ मनाया जाता है।
ज्ञात हो कि, चार दिवसीय छठ महापर्व में पहले दिन नहाए-खाय के साथ इसकी शुरुआत हुई है। छठ व्रतियों ने नहाकर महाप्रसाद के रूप में चावल, चना दाल और लौकी (कद्दू) की सब्जी का सेवन की। यह पूजा परिवार की महिलाएं अपने ही घर पर करती हैं।
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ऐसा माना जाता है कि इससे छठी मइया का कृपा उनके परिवार पर बनी रहेगी। खरना (खीर प्रसाद) छह को है। जबकि, चौथे दिन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रतीयों का निर्जला व्रत खत्म होगा।
चार दिवसीय पर्व में महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत भी रखती हैं। छठ पूजा के तीसरे दिन शाम को बेरमो कोयलांचल के दामोदर नदी, कोनार नदी, बोकारो नदी या तालाब में खड़े होकर अस्त होते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। चौथे और आखिरी दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर निर्जला व्रत खत्म होगा।
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