रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में कसमार प्रखंड के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में 2 नवंबर को झारखंड की संस्कृति से जुड़ा महान पर्व सोहराय, बांदना व गोट पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस त्योहार को लेकर लगातार तीन दिनों तक कई प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
बताया जाता है कि ग्रामीण इलाकों में प्रथम दिन संजोत से आरंभ होकर तीसरे दिन बरद खुटा के साथ इस पर्व का समापन हो गया। इस त्योहार को लेकर लगभग सभी जगहों पर ग्रामीण रहिवासियों में काफी उत्साह का माहौल दिखा।
इस अवसर पर क्षेत्र के बच्चे, बूढ़े सब के सब पूरी तरह इस सोहराय के रंग में रंगे दिखे। हर जगह सोहराय की धूम देखी गयी। रहिवासी काफी धूमधाम से इस त्योहार का आयोजन करते है।
बताया जाता है कि यह त्योहार प्रथम दिन नहान से आरंभ किया गया। जिसमें गांव के सभी रहिवासी मिलकर ग्राम से बाहर गोट पूजा किया। मुर्गा मुर्गी की बलि दी गई। वहां से वापस घर आने के बाद गो पूजा की गई। दूसरे दिन के पूजा में घर घर में गोहाल पूजा किया गया। जिसमें गाय, बैल, बछ्ड़ा, बकरी को रंगो को सजाया गया तथा उन्हें नये जोड़ (रस्से, जंजीर) से बांधा गया। यहां मुर्गा की बलि के अलावा पकावन का भी चढावा चढ़ाया गया। सोहराय के तीसरे और अंतिम दिन 2 नवंबर को बरद खुटा के रुप में मनाया गया।
इस दिन गांव के बीच कुल्ही में एक मजबूत खुटा गाड़ कर उसमें बैल को बांधा गया। बैल को ग्रामीणों द्वारा काफी सुंदर ढंग से सजाया गया एवं विभिन्न प्रकार के वाद्य यंत्रों को बजाकर बैल के चारों ओर घूम कर ग्रामीणों ने नृत्य किया। बरद खुटा के अवसर पर कई प्रकार सोहराय गीत एवं ढोल नगाड़े के साथ बैल को उकसाया जा रहा था। बाद में काफ़ी उत्सुकता से बैल को बंधन मुक्त कर दिया गया।
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