पीयूष पांडेय/बड़बिल (उड़ीसा)। क्योंझर जिला के हद में जोड़ा क्षेत्र में माँ श्यामाकाली की पूजा शुरु होने से जोड़ा शहर में उत्सव का माहौल बन गया है। रोशनी का त्योहार दिवाली आते ही हर किसी के मन में उमंग और उत्साह छा जाता है। हालाँकि, इस त्यौहार का बहुत अधिक आध्यात्मिक अर्थ है।
जानकारी के अनुसार इस दिन इस पवित्र दिन पर मां श्यामाकाली पापियों का नाश करने के लिए अवतरित होती हैं। वर्ष 1975 से जोड़ा बस स्टैंड पर मां श्यामाकाली की पूजा धूमधाम से होती आ रही है। जोड़ा बस स्टैंड पर सभी व्यापारी इस जश्न में शामिल होते हैं। जबकि यह पूजा सार्वजनिक काली पूजा समिति द्वारा की जाती है। इस वर्ष इसने अपना 49वां वर्ष पूरा कर लिया है।
मां काली की प्रतिमा स्थापित होने के कार्यक्रम के बाद बीते 12 नवंबर की आधी रात को चंडी पाठ और अन्य अनुष्ठानों के साथ पूजा अर्चना शुरू की गई। जगतसिंहपुर के उपासक बलराम महापात्र इस पूजा में चंडीपाठ करते हैं। इस पूजा में पारंपरिक वाद्य यंत्र तेलिंगी बाजा को हर साल की तरह जीवंत रखा गया है, जिससे पूरे बस स्टैंड क्षेत्र में आध्यात्मिक माहौल बना है।
बताया जाता है कि यहां यह पूजा 8 दिनों तक चलने के दौरान आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। यहां दिन-रात भक्तों के लिए निःशुल्क प्रसाद की व्यवस्था की गई है। जिससे दूर-दूर से मां के दर्शन के लिए आने वाले सभी भक्तों को मां का प्रसाद मिल सके। इस साल यह पूजा काफी धूमधाम से मनाई गई है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि यह पूजा 48 साल पहले जोड़ा शहर के प्रमुख रहिवासियो फूलीधर त्रिपाठी, गोपीनाथ मोहंती, माधवानंद जेना, हेमंत त्रिपाठी मेजर के प्रयास से शुरू की गई थी। अब इस पूजा की जिम्मेदारी एक नयी कमेटी संभाल रही है। जोड़ा क्षेत्र में यह एक प्रसिद्ध पूजा है।
इस अवसर पर 13 नवंबर को पूजा समिति पदाधिकारियों ने बताया कि 14 से 18 नवंबर तक 5 दिनों तक चलने वाला सांस्कृतिक कार्यक्रम होगा। 19 नवंबर को मां काली का विसर्जन समारोह आयोजित किया जाएगा। इस पूजा को लेकर अब पूरे जोडा शहर में उत्सव का माहौल है।
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