कर्त्तव्यनिष्ठा, एकता, संघर्ष, परिवर्तन और अधिकार हीं हमारा मूल मंत्र-राजेंद्र सिंह
एस. पी. सक्सेना/बोकारो। केंद्रीय श्रमिक संगठन हिन्द मजदूर सभा से संबद्ध क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ का 13वाँ एकदिवसीय द्विवार्षिक महासम्मेलन 16 फरवरी को संपन्न हो गया। सम्मेलन में झरिया के पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह अध्यक्ष व् राजेंद्र ध्वनि मत से पुनः महामंत्री बनाये गये।
जानकारी के अनुसार बोकारो इस्पात नगर के जनवृत टू कला केन्द्र में लगभग पाँच हजार प्रतिनिधियो (डेलिगेट्स) द्वारा ध्वनिमत से पारित 26 सूत्री प्रस्ताव के साथ सम्मेलन सम्पन्न हो गया। महासम्मेलन मे सेल/बोकारो इस्पात संयंत्र तथा सेल के विभिन्न माइंस से आये प्रतिनिधियो ने वर्तमान समस्याओ, संगठन विस्तार एवं अगले दो वर्ष के लिए युनियन की रणनीति पर गहन विचार मंथन किया।
हालाँकि युनियन की अध्यक्ष पूर्व विधायक झरिया विधानसभा पूर्णिमा सिंह महासम्मेलन में परिजन के चिकित्सीय कारणो से उपस्थित नही हो सकी। सिंह ने दूरभाष पर अपनी अनुपस्थिति के लिये खेद व्यक्त करते हुए कहा कि दुख है कि वे मजदूरो के इस ऐतिहासिक महासम्मेलन का हिस्सा नहीं बन पायी। महासम्मेलन मे पारित सभी प्रस्ताव पर उनकी सहमति है।
आयोजित महासम्मेलन मे मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित स्टील, मेटल एंड इंजीनियरिंग वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएमईएफआई) के राष्ट्रीय महामंत्री सह-सदस्य एनजेसीएस संजय बढ़ावकर ने अपने संबोधन मे कहा कि प्रबंधन का विगत चार वर्षो मे मजदूरो के प्रति नकारात्मक रवैया चिन्ताजनक है। कहा कि अब आर पार की लड़ाई का वक्त आ चुका है। श्रम कानून मे परिवर्तन और संगठित क्षेत्र मे घटती रोजगार से सरकार एवं प्रबंधन के मंसूबों को भली-भाँति समझा जा सकता है।
क्रान्तिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) मे महिलाओ एवं युवाओ की बढ़ती भागीदारी उत्साहित करने वाला है।वेज रिवीजन का एमओयू हुए चार वर्ष बीत चुके हैं, मगर अब तक समझौता नहीं होना प्रबंधन द्वारा एनजेसीएस की एकता को तोड़ने की साजिश है। उन्होंने कहा कि ठेका मजदूरों के सुरक्षा से समझौता और मिनिमम वेज ना मिलना बेहद चिन्ताजनक है।
यूनियन के पूर्व अध्यक्ष स्व बच्चा सिंह के निधन से आहत एवं पूर्णिमा नीरज सिंह का युनियन अध्यक्ष के रूप में मनोनयन से उत्साहित युनियन के महामंत्री सह-सदस्य एनजेसीएस राजेंद्र सिंह ने व्यापक रूप से पिछले दो वर्ष में युनियन की गतिविधियों के साथ-साथ अगले दो वर्ष की रणनीति पर विचार व्यक्त किया।
सिंह ने कहा कि एक ओर वर्ष 2000 से लगातार युनियन अध्यक्ष के रूप में युनियन के मार्गदर्शक स्व. बच्चा सिंह का निधन ना सिर्फ युनियन के लिये अपितु व्यक्तिगत रूप से उनके लिये एक अपूरणीय क्षति है। वहीं दूसरी ओर पूर्णिमा नीरज सिंह को अध्यक्ष के रूप मे पाकर वे बेहद उत्साहित हैं।
सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण, निजीकरण और सरकार की मुनाफा नीति का सबसे अधिक आघात सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानो पर हुआ है। कहा कि 100 प्रतिशत तक एफडीआई कर परोक्ष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम का निजीकरण किया जा रहा है, मगर सेल में एनजेसीएस के कड़े तेवर और मजदूर एकता के कारण सरकार की निजीकरण की नीति कामयाब नहीं हो पायी है। उन्होंने कहा कि ठेकेदारी और आउटसोर्सिंग की नीति जोरों पर है।
श्रम लागत में कटौती कर मुनाफा का रास्ता ढुँढा जा रहा है, जबकि लागत मूल्य में सिर्फ 12 प्रतिशत हीं श्रम लागत है, शेष 88 प्रतिशत पूँजी पर प्रबंधन का नियंत्रण होता है, फिर भी कटौती सिर्फ श्रम मूल्य में। प्रबंधन का यह कैसा प्रबंध है?
महामंत्री सिंह ने कहा कि मनमानी का आलम ऐसा है कि वेज रिवीजन पर वर्ष 2021 का एमओयू मुख्य श्रमायुक्त के दिशानिर्देश के बावजूद समझौते की बाट जोह रहा है।
रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी मजदूर खाली हाथ हैं। कहा कि ठेका मजदूरो की हालत तो और भी दयनीय है। झारखंड सरकार के नियमावली में कारखाना के मजदूरो के लिये न्युनतम मजदूरी का कोई उल्लेख नहीं है। भवन निर्माण एवं बीड़ी पत्ता की मजदूरी पर काम लिया जा रहा है। सेल प्रबंधन एडबल्यूए के जरिये क्षतिपूर्ति का दंभ भरती तो है, मगर एडबल्यूए की राशि को भविष्य निधि अंशदान से परे रखी है। कहा कि एडबल्यूए और न्युनतम मजदूरी मे हुई बढ़ोतरी के कारण कुशल मजदूर ईएसआईसी से वंचित हैं।
महारत्न कंपनी के मजदूर आज ईलाज से महरूम हैं। मेडिकल चेकअप पर इनकी नीति खुद इनके समझ से परे है। चार से पाँच माह का बैक लाॅग है। ना नीति ना नियत। सुरक्षा और प्रदुषण नियंत्रण पर केवल कागजी खानापूर्ति लीपापोती हो रही है। उन्होंने विगत दो वर्षो की सफलताओं का जिक्र करते हुए कहा कि इस कालखंड में हमने कई सफलताएँ हासिल की है। मिनिमम वेज से वंचित कोक ओवन मे हमने ना सिर्फ मिनिमम वेज और जाॅब सिक्युरिटी हासिल किया, बल्कि 8 प्रतिशत इन्सेंटिव, वर्ष में पाँच छुट्टी, समयबद्ध ग्रेड प्रमोशन, 3 घंटे रिलीफ सहित कई मांगो को हासिल करने मे ना सिर्फ कामयाब रहे, बल्कि सहायक श्रमायुक्त के समक्ष प्रबंधन से लिखित समझौता भी किया। धमन भट्ठी मे भी हम सफलता की ओर अग्रसर हैं।
जाॅब सिक्युरिटी और मिनिमम वेज पर सफलता मिली है। ट्रैफिक विभाग मे 40 वर्ष के नासूर को खत्म कर एचएससीएल के मजदूरो के मिनिमम वेज के लिये भी सेल प्रबंधन को जवाबदेही के लिये विवश किया। ठेका मजदूरो के लिये हाल हीं मे लागू ₹10 लाख का ग्रुप इंश्योरेंस हमारी सफलता का सबसे नवीन उदाहरण है। अपने संघर्ष और सफलता के परिणामस्वरूप हीं हम बोकारो हीं नहीं, सम्पूर्ण सेल मे सर्वोच्च शिखर पर कायम हैं।
सिंह ने कहा कि सेल के माइंस मे युनियन का विस्तार एवं लोकप्रियता से हम काफी उत्साहित हैं। महिला शाखा का गठन और गरीब महिलाओ का नि:शुल्क स्व रोजगार प्रशिक्षण महिला सशक्तिकरण हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।सामाजिक दायित्व के अंतर्गत हमने कई नि:शुल्क मेडिकल तथा रक्त दान शिविर का आयोजन किया। अन्त में सिंह ने महासम्मेलन मे उपस्थित तमाम प्रतिनिधियो तथा मजदूर साथियो से आगे संघर्ष का आह्वान करते हुए कहा कि हर चुनौती के लिये कमर कस कर तैयार रहें। हमेशा याद रहे कर्तव्यनिष्ठा, एकता, संघर्ष, परिवर्तन और अधिकार हीं हमारा मूल मंत्र है।
महासम्मेलन के अंत मे परम्परानुसार पुरानी कमिटी को भंग कर खुले अधिवेशन में ध्वनि मत से अगले दो वर्ष के लिये पूर्णिमा नीरज सिंह को अध्यक्ष तथा राजेंद्र सिंह को पुनः महामंत्री चुना गया तथा अधिवेशन ने नई कमिटी के विस्तार के लिये अध्यक्ष एवं महामंत्री को अधिकृत किया।
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