सुहागिनों ने वट वृक्ष का परिक्रमा कर की पति के अखंड सौभाग्य की कामना

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। वट सावित्री पूजा के अवसर पर 19 मई को देशभर में वट सावित्री की पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाई गयी। जगह जगह सुहागिनो ने वट वृक्ष की पूजा की।

जानकारी के अनुसार वट सावित्री पर्व के अवसर पर बोकारो जिला के हद में तेनुघाट मे भी सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजा अर्चना की। आज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति के लम्बी आयु के लिए व्रत रखती है।

पौराणिक मान्यताओ के अनुसार इस अवसर पर वट वृक्ष की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। इसे लेकर आज पूरे तेनुघाट मुख्यालय भर में सुबह से ही सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए वट वृक्ष की पूजा अर्चना की। तेनुघाट मुख्यालय से लेकर प्रखंडों में सुहागन महिलाओं ने अमर सुहाग की कामना को ले वट वृक्ष की पूजा की।

इस अवसर पर स्नान ध्यान के बाद महिलाएं नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए नजदीकी वट वृक्ष के नीचे पहुंची। जहां जल, सिंदूर, हल्दी, गुड़, भींगा चना, मटर, फल व प्रसाद से विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सत्यवान व सावित्री की कथा सुनी। कथा सुनने के बाद महिलाओं ने वट वृक्ष का 108 बार परिक्रमा कर अमर सुहाग की कामना की।

इस बार बरगद के पेड़ के निचे बहुत अधिक भीड़ देखी गयी। इधर पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए पुजारी राजीव पांडेय और वयोवृद्ध महिला रामा देवी, रेखा सिन्हा एवं चंदलेखा देवी ने कहा कि वट सावित्री पूजा सुहागिनों के अखंड सौभाग्य प्राप्त करने का प्रमाणिक और प्राचीन व्रत है। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि व्रत करने से अल्पायु पति भी दीघार्यु हो जाता है।

उन्होंने बताया कि जब सत्यब्रत की आत्मा को यमराज लेने पहुंचे थे, तब उनकी पत्नी सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। यमराज के काफी समझाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी, तब विवश होकर यमराज ने सत्यब्रत के आत्मा का प्रवेश उसके मृत शरीर में करवा दिया। उसी समय सावित्री ने वट सावित्री की पूजा की थी। तब से आज तक महिलाये नियम के साथ यह पर्व करती आ रही है।

 101 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *