एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार प्रांत के सीतामढ़ी जिला के हद में गम्हरिया सप्पी में सीतामढ़ी रंग महोत्सव का आयोजन किया गया। महोत्सव के अंतिम दिन 13 फरवरी की संध्या लेखक इश्तियाक अहमद तथा निर्देशक मनीष महिवाल द्वारा लोक पंच पटना की प्रस्तुति नाटक कातिल खेत का मंचन किया गया।
सीतामढ़ी रंग महोत्सव में किसानों के जीवन पर आधारित लोक पंच की प्रस्तुति नाटक कातिल खेत में उपस्थित ग्रामीणों ने भरपूर आनंद उठाया। नाटक में खेती और किसानी पर लालच के कारण आए संकट को खूबसूरती के साथ दर्शाया गया। नाटक के अनुसार ज्यादा और बेहतर फसल की चाहत में आज देश भर में किसान रासायनिक खादों और कीटनाशक का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं।
रसायनिक खाद खेतों को बंजर बना रही है तो कीटनाशक अनाज को जहरीला। इनके प्रयोग ने खेती किसानी को महँगा बना दिया है। नतीजन आज किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। रासायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग और किसान से लेकर धरती को होने वाले नुकसान को इस नाटक में दिखाया गया।
उक्त नाटक के द्वारा यह बताया गया कि किस तरह से पारंपरिक तरीके से हजारों वर्ष से खेती करने वाला किसान खुशहाल था, लेकिन लालच में आकर जबसे उसने आधुनिकता के नाम पर रासायनिक खादों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, तब से खेती नुकसान का सौदा बन गया। आज इनके प्रयोग से जैव विविधता पर संकट आ गया और कई बीमारियों का कारण यह खाद और कीटनाशक बन रहा है। यह नाटक हास्य और व्यंग के जरिए इस विषयों पर प्रहार करती हैं।
नाटक कातिल खेत में कलाकार मनीष महिवाल, सोनल कुमारी, अरविंद कुमार, कृष्ण देव, रोहित चंद्र, प्रवीण सप्पू, अजीत कुमार, रजनीश पांडेय, अभिषेक राज, रोहित कुमार ने अभिनय किया।
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