1932 का खतियान लागू करने की मांग को लेकर करगली मैदान मे विशाल जनआक्रोश रैली
एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। झारखंडी खतियान संघर्ष समिति के बैनर तले 13 मार्च को झारखंड जन आक्रोश रैली निकाली गयी। पदयात्रा रैली की शुरुआत बोकारो जिला (Bokaro district) के हद में हिंदुस्तान पुल फुसरो से हुई।
फुसरो बाजार होते हुए करगली फुटबॉल मैदान पहुंचकर जनसभा में तब्दील हो गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता बेनीलाल महतो तथा संचालन विनोद महतो ने किया।
रैली के माध्यम से झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से 1932 का खतियान लागू करने, भोजपुरी, मगही व अंगिका भाषा के स्थान पर झारखंड में खोरठा भाषा को दर्जा देने की मांग की। जनाक्रोश रैली में बेरमो अनुमंडल के विभिन्न गांवों से हजारों लोग शामिल हुए। झारखंड में बाहरी भाषा नहीं चलेगी,1932 का खतियान, हमारी पहचान, इसे लागू करना होगा जैसे नारे लगा रहे थे।
इस अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि टाइगर जयराम महतो ने कहा कि अगर सरकार (Government) 1932 के खतियान लागू करने में असफल होती है तो उन्हें सरकार चलाने की कोई आवश्यकता नहीं है। नैतिकता के आधार पर उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए।
विधानसभा के चुनाव में उन्होंने घोषणा की थी कि अगर मेरी सरकार बनी तो मैं मुख्यमंत्री बनते ही 1932 का स्थानीय नीति लागू करूंगा। लोगों ने उनकी बातों पर विश्वास करके उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।
निश्चित तौर पर उन्होंने अपने वादा को भूलने का काम किया है जिसे झारखंड की जनता कभी नहीं भूला पाएगी। इसलिए हम सभी झारखंड वासियों को एक होना होगा। एक बैनर के तले आकर विद्रोह करना होगा, तभी हमारा यह जन आंदोलन सफल होगा।
उन्होंने कहा कि कोयला खदाने और डीवीसी का पावर प्लांट झारखंड में है और मुख्यालय कोलकाता में है। कहा कि भगत सिंह ने कहा था कि अंग्रेज से आजादी तो ले लेंगे, लेकिन सत्ता चंद लोगो के हाथों में होगा। दो महीना से हम लगातर सभा कर रहे है।
हम मौत से नहीं डरते हैं। सरकार की नीति से क्षुब्ध होकर यहां के नौजवान नक्सली बन रहे हैं। झारखंड में अबतक सभी सरकारे झारखंड व झारखंडियों की पहचान मिटाने की साजिश में शामिल रही है। जिससे यहां के लोग आज भी पिछले पायदान में खड़े हैं। अब झारखंड 21 साल का हो गया है और अपने हक-हूकूक व अधिकार के लिए लड़ाई लड़ने को तैयार है।
गोमियां विधायक डॉ लंबोदर महतो (Gomiyan MLA Dr Lambodar Mahto) ने कहा कि झारखंड की अस्मिता के लिए झारखंडी भाषा को लागू करने की जरूरत है।
सभी राज्यों में अपनी भाषा है। लेकिन यहां की भाषा को उचित तरजीह न देकर दूसरे राज्यों की भाषा को सरकार थोप रही है। 1932 का खतियान लागू होने पर ही मूल निवासियों को उनका वाजिब हक मिल पायेगा।
बेरमो के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल ने कहा कि नेताओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य हित के बारे में सोचने की जरूरत है। जो झारखंड की बात करेगा, वही झारखंड पर राज करेगा। बेनीलाल महतो, इंद्रदेव महतो, गौरी शंकर महतो, बिनोद महतो ने कहा कि यदि सरकार 1932 का खतियान को लागू नहीं करती है तो यह आंदोलन सड़क से सदन तक करेंगे।
नेताओं ने कहा कि दूसरे राज्य के भाषा को किसी भी स्थिति में वे मानने को तैयार नहीं हैं। झारखंडी भाषा को राजभाषा का दर्जा देने की मांग किया। मौके पर दिगंबर महतो, अनंत लाल महतो, नरेश महतो, धनेश्वर महतो, रतन महतो, दीपक कुमार, महेंद्र चौधरी,. आदि।
कमलेश महतो, संतोष महतो, रंजीत महतो, बैजनाथ महतो, शंभू प्रसाद महतो, गौतम महतो, सूरज केवट, सुरेश महतो, महेश देशमुख, वीरू गिरी, तुलसी महतो, वीरेंद्र महतो सहित हजारों लोग शामिल हुए।
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