जंगल जमीन को बचाने के लिए सहयोग करें-मुकुल ओझा

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में चास प्रखंड के सतनपुर पहाड़ी श्रृंखला के बारी कोऑपरेटिव कॉलोनी के सामने स्थित सिद्धिदात्री पहाड़ी भाग के पास स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा लगभग 20 से 25 वर्षों पहले लगाए गए आम, जामुन, बेल, कटहल सहित अन्य वृक्षों का निरीक्षण पहाड़ी के साथ साथ किया गया। निरिक्षण में पाया गया कि बेल के कई वृक्षों पर फल लगे हैं तथा आम के भी कई वृक्षों पर मंजर लगी हुई है।

स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा इस सिद्धिदात्री पहाड़ी पर पीपल, बरगद, नीम सहित दर्जनों लगे वृक्ष और पास में स्थित पर्यावरण-मित्र बाग में लगे दर्जनों आम, जामुन, बेल आदि के सभी पेड़ देखरेख के अभाव में न सिर्फ कुपोषित हो रहे हैं, बल्कि यहां नशे बाजों का अड्डा बन गया है। जो यहां की पवित्रता को भंग कर रहे हैं। आसपास की सौ एकड़ वानभूमि को भी भू-माफियाओं द्वारा नाजायज कागजात बनाकर कब्जा किया जा रहा है।

राज्य सरकार, वन विभाग और जिला प्रशासन से कई बार इस पहाड़ी और आसपास के क्षेत्र को संरक्षित करते हुए इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने हेतु आग्रह किया गया है, मगर अभी तक इनके द्वारा कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाना अत्यंत ही चिंतनीय है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण से खिलवाड़ भी है। अगर सरकार और वन विभाग चाहे तो स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान से इस पहाड़ी के विकास, यहां की वन भूमि के संरक्षण एवं यहां लगे पौधों की रक्षा के लिए सलाह तथा सहयोग ले सकते हैं।

स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ उर्फ मुकुल ओझा ने 9 फरवरी को सतनपुर की इस पहाड़ी के निरीक्षण के बाद उक्त विचार व्यक्त करते हुए संस्थान के सभी पदाधिकारियों को जल, जंगल, जमीन और पर्वत सहित संपूर्ण प्रकृति को बचाने हेतु कमर कसने का आह्वान किया।

निरीक्षण टीम में संस्थान के महासचिव मुकुल ओझा, उपाध्यक्ष अखिलेश ओझा, सलाहकार राजेश्वर प्रसाद, वृक्षारोपण प्रकोष्ठ के संयोजक वीरेंद्र चौबे, कार्य समिति सदस्य मनीष कुमार एवं अंकित मिश्रा सम्मिलित थे।

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