शिवसेना नेता दिपक महेश्वरी हुए मुहर्रम के यौमे ए आशूरा में शामिल
मुश्ताक खान/मुंबई। यौमे ए आशूरा के मौके पर चिता कैंप के कर्बला मैदान को जनसेवा हिच ईश्वर सेवा नामक संस्था द्वारा भव्य रूप से सजाया गया, इसके साथ ही लंगर और फातेहा भी कराई गई। आस्थावान इस संस्था के संस्थापक व शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के लिए समर्पित दिपक महेश्वरी के सहयोग से चिता कैंप, सेक्टर “सी” के कर्बला मैदान का ताजिया देखने योग्य थे।
अनुशक्तिनगर विधानसभा की हद में आने वाले चिता कैंप का कर्बला मैदान इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार मुहर्रम के दिन हिन्दू – मुस्लिम और देश में एकता व भाईचारे का मिसाल बन गया। इस दिन कर्बला मैदान में देश की खुशहाली और अमन शांति के लिए दुआऐं मांगी गई।
हालांकि यौमे ए आशूरा के मौके पर मुंबई के बहुल क्षेत्रों के तौर पर माना जाने वाला चिता कैंप में हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद किया गया, गम के इस महीने में दस दिनों की मजलिस (बयान) के बाद शनिवार को जुलुस भी निकाला गया। शनिवार के इस जुलुस में जनसेवा हिच ईश्वर सेवा नामक संस्था के संस्थापक एवं शिवसेना (उद्धव ठाकरे) गुट के लिए समर्पित दिपक महेश्वरी अपनई टीम के साथ जुलुस में शामिल लोगों की भक्ति भाव से सेवा की।
इस मौके पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए या हुसैन -या हुसैन, “इस्लाम जिन्दा होता है, हर कर्बला के बाद” के नारों के साथ लोग कर्बला मैदान गूंज उठा। कर्बला में भी देश में अमन शांति और तरक्की के लिए दुआएं मांगी गई। दरअसल मुहर्रम गम और मातम का महीना है, इसे इस्लाम को मानने वाले मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक, मुहर्रम इस्लाम का पहला महीना होता है। यानी मुहर्रम इस्लाम के नए साल या हिजरी सन् का शुरुआती महीना है।
हर वर्ष की तरह इस साल 29 जुलाई को यौमे ए आशूरा मनाया गया। इस्लाम के मानने वाले लोगों के लिए यह महीना बहुत अहम होता है, क्योंकि इसी महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुहर्रम के महीने के दसवें दिन को लोग मातम के तौर पर भी मनाते हैं, जिसे आशूरा कहा जाता है।
मुहर्रम, बकरीद यानि ईदुल अजहा की नमाज के लगभग 28 से 29 दिनों के बाद मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार मुहर्रम की पहली तारीख से आसूरा यानि 10 दिनों तक रोजा रहने की परम्परा है। ऐसे में कुछ लोग कम रोजे भी रहते हैं। इस मौके पर शिवसेना नेता दिपक महेश्वरी के साथ शफीक खान उर्फ़ गुड्डू, हारुन शेख, गशयाम मनुख अली, महेंदर मणि, शंकर सेलवन, खुर्शेद आलम, सगीर खान आदि लोग शामिल थे।
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