एस. पी. सक्सेना/बोकारो। हाल के वर्षों में सीसीएल प्रबंधन सीएसआर के नाम पर केवल खानापूर्ति करने का काम करती रही है। जबकि प्रभावित क्षेत्रों में आज भी समस्या विकराल है।
स्वास्थ्य सुविधा का घोर अभाव है। जलापूर्ति एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी किसी प्रकार का कार्य नहीं किया जा रहा है। विस्थापित आज बेहाल है। उक्त बातें इंटक नेता महेंद्र कुमार विश्वकर्मा ने एक भेंट के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण (Nationalization) के बाद सीएसआर का मुख्य उद्देश्य कंपनी द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यो को तरजीह देना था। बावजूद इसके कोयला उद्योग ही नहीं बल्कि विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों यथा राष्ट्रीयकृत बैंक आदि सीएसआर के नाम पर केवल खानापूर्ति करने का काम कर रही है।
उन्होंने बताया कि जो गांव का विकास किया जाना था, वहाँ अधिकारियों किया मनमानी के करवा विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। झारखंड में सीसीएल, बीसीसीएल, डीवीसी द्वारा हजारों एकड़ भूमि रैयत विस्थापितों से लेकर कंपनी कमाई कर रही है, लेकिन आसपास के प्रभावित गांवो का विकास के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति करने का काम करती रही है।
यही कारण है कि आज विस्थापित अपने हक अधिकार के लिए आवाज़ बुलंद कर दिया है। यदि प्रबंधन अब भी नहीं चेता, तो आने वाले समय में उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा। इसका जिम्मेदार केवल और केवल कंपनी प्रबंधन होगी।
इंटक नेता ने बताया कि कोलियरी के आसपास के प्रभावित क्षेत्रों के स्कूलों का विकास होना चाहिए। सीसीएल विद्यालय में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास नहीं किया गया है। ट्रेड यूनियन भी नहीं सोंचती है।
उन्होंने कहा कि सीसीएल द्वारा समय समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा शिविर का आयोजन कर ग्रामीणों का इलाज किया जाना चाहिए, लेकिन अस्पतालो द्वारा केवल एक दो चुनिंदा गांव में ही चिकित्सा शिविर लगाया जाता है।
जबकि प्रभावित दर्जनों गांव के ग्रामीण रहिवासी इलाज के अभाव विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा में बेहतर करना है लेकिन आज भी वहाँ शिक्षा का घोर अभाव देखा जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रौशनी व् पेयजल कि कमी है।
उन्होंने कहा कि सीसीएल द्वारा सीएसआर (CSR) मद से प्रभावित गांव में सैकड़ो शौचालय बनाया गया, जिसमें जलापूर्ति नहीं होने के कारण उसमें बकरी पालन हो रहा है। दर्जनों शौचालय का छत टूट गया, जिसमें बिचाली लगा हुआ है। विश्वकर्मा के अनुसार सीएसआर के नाम पर केवल आई वाश और लूट तंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसकी जांच आवश्यक है।
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