प्रहरी संवाददाता/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में फुसरो नगर परिषद क्षेत्र के करगली बाजार गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा कमेटी द्वारा गुरु अर्जुन देव जी का 417वां छबील शहीद दिवस पूरे धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया।
गुरु अर्जुन देव के छबील शहीद दिवस के अवसर पर गुरुद्वारा कमेटी द्वारा हलवा, चना और मीठे ठंडा शरबत और लंगर की व्यवस्था की गई। कमेटी के अध्यक्ष लाल सिंह ने बताया कि आज के दिन सिख समुदाय गुरु के शहीदी दिवस को मीठे पानी वाला गुरुपर्व नहीं, बल्कि शहादत के रूप में स्मरण करने का संकल्प लेने वाला पर्व के तौर पर मनाता हैं।
इनका कहना है कि हर सिख को उनकी शहीदी से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनकी शहादत को अपने जहन में रखना चाहिए। उनका इतिहास पढ़ना चाहिए, ताकि जीवन में आने वाली किसी भी विषम परिस्थिति में अपने मार्ग से डगमगाएंगे नहीं।
उन्होंने बताया कि गुरु जी को गर्म तवे पर बैठाकर उन पर गर्म रेत डाला जाता रहा। इसके बावजूद वे शांत रहे। उनका शरीर तप रहा था, लेकिन उनका मन अकाल पुरख से जुड़ा हुआ था। हमें भी उनकी तरह ही अडोल रहना चाहिए। उनकी शहादत को लासानी (अनोखी) शहादत कहा जाता है।
सिख इतिहास में गुरु अर्जुन देव पहले सिख गुरु हुए। उनकी याद में ही छबील लगाई जाती है। जो जून की गर्मी में मानवता के नाते राहगीरों को शीतलता प्रदान करने की एक पहल सिख धर्म के पांचवे गुरु अर्जून देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1563 गोइद वाल सहिब पिता गुरू राम दास जी के तथा माता भानि जी के गृह में हुआ था।
मुगल राजा जहाँगीर के आदेश पर 30 मई 1606 ईश्वी को श्री गुरु अर्जून देव जी को लाहौर में भीषण गर्मी के दौरान (किसी व्यक्ति को रक्त धरती पर बिना गिराए उसे शहीद करना)”यासा व सियासत” कानून के तहत गर्म तवे पर बैठाकर उबली डेग में डालकर सिर पर गर्म रेत डालकर उनके शरीर को रावी नदी में बहा दिया गया।
आज उस स्थान पर गुरुद्वारा श्री डेरा साहिब है। यह वर्तमान में पकिस्तान में हैं। इस शहीद दिवस को पूरी सिख संगत मनाती है। उस दिन कडाह प्रसाद और चना प्रसाद व मीठा ठंडा जल वितरित किया जाता है।
मौके पर करगली बाजार गुरद्वारा के ज्ञानी बाबा तरसेम सिंह, अध्यक्ष लाल सिंह, सचिव लेना सिंह, मुन्ना खालसा, जगतार सिंह, रवि चावड़ा, गुरमुख सिंह, गुरमीत सिंह, बबली सिंह, लवप्रीत सिंह, गुरजीत सिंह, रतन सिंह आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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