रेट चार्ट नहीं लगानेवाले निजी अस्पतालों का लाइसेंस रद्द करे सरकार-विजय

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। राज्य के प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम (क्लीनिक इस्टैब्लिशमेंट एक्ट) के तहत अस्पताल में दी जाने वाली सुविधाओं और उसका रेट चार्ट जनता के लिए अभी तक नहीं लगाए है, वैसे अस्पतालों को चिन्हित कर उन सभी का लाइसेंस कैंसिल करे राज्य के स्वास्थ चिकित्सा एवं परिवार कल्याण विभाग झारखंड अन्यथा आंदोलन किया जायेगा।

उपरोक्त बाते 21 जून को झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता एवं प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग रांची को ईमेल भेज कर कही है।

उन्होंने कहा हैं कि झारखंड बचाओ मोर्चा की यह सोंच है कि राज्य में किसी भी निजी हॉस्पिटल अथवा नर्सिंग होम के संचालन के लिए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने का अनिवार्य प्रावधान है। साथ ही साथ प्रति एक साल के बाद लाइसेंस का नवीकरण कराना भी है, मगर राज्य के बहुत सारे निजी अस्पताल और नर्सिंग होम क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलाए जा रहे हैं।

वैसे निजी चिकित्सा संस्थान जनता की गाढ़ी कमाई को लूटने का कार्य कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मंत्री एवं अधिकारी धृतराष्ट्र की तरह आंख में पट्टी बांधकर कुंभकरण की तरह गहरी निंद्रा में सोए हैं, जो राज्य की गरीब जनता के लिए हितकर नहीं है।

नायक ने कहा है कि झारखंड बचाओ मोर्चा का कहना है कि इस क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत यह भी अनिवार्य रूप से प्रावधान दिए गए हैं कि सभी सारे निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम मे दी जाने वाली सुविधाओं और उसका रेट भी लगाने का निर्देश दिए गए। साथ ही यह भी कहा गया है कि रेट चार्ट ऐसी जगह पर लगाए जाए, जिससे कि रजिस्ट्रेशन नंबर और रेट की जानकारी स्पष्ट रूप से दिखाई दे।

इसके बावजूद ज्यादातर प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम आदेश को मानने को तैयार नहीं है। ना ही आज तक कोई भी प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम में कोई रेट चार्ट लगाया गया है जो कानून का घोर उल्लंघन है। जिसे कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

नायक ने यह भी कहा है कि झारखंड बचाओ मोर्चा का यह भी मानना है कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट एवं रजिस्ट्रेशन की मॉनिटरिंग का जिम्मा सभी जिला के सिविल सर्जन को है, मगर राज्य के सभी सिविल सर्जन हॉस्पिटल का माॅॅनिटरिंग नहीं कर हॉस्पिटलो एवं नर्सिंग होमो से हरेक माह एक मोटी रकम की वसूली कर अस्पतालों को आर्थिक शोषण करने की खुली छूट देकर जनता को इन अस्पताल प्रबंधको से लुुटवाने के लिए उनके रहमो करम पर छोड़ने का काम किया गया है।

यह झारखंड की जनता के लिए शुभ संकेत नहीं है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से इस महत्वपूर्ण विषय को गंभीरता पूर्वक लेने का अनुरोध करते हुए इस दिशा में ठोस पहल करने की मांग की है। नायक ने कहा हैं कि यदि विभागीय मंत्री ऐसे अस्पतालों एवं निजी नर्सिंग होम के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं तो मोर्चा स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को बाध्य होगी।

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