शाह परिवार ने दिये सीएम फंड में 11 लाख
मुश्ताक खान /मुंबई। भाजपा विधायक पराग किशोर शाह (Parag Kishor Shah) ने मनपा से मिलने वाले मानधन को बंद करने का आग्रह सचिव से किया है। इसके लिए उन्होंने मनपा सचिव को पत्र भी लिखा है। इस मुद्दे पर विधायक दिलीप लांडे (Dilip Lande) ने दो टूक जवाब दिया की मानधन का मामला मनपा तय करेगी।
जबकि विधायक रईस शेख (Raees Shaikh) ने महापौर को एक पत्र देकर आग्रह किया था कि मनपा से मिलने वाला मानधन सीएम फंड में दिया जाए। ताकि बाढ़ पीड़ितों की सहायता हो सके। इस कड़ी में दिलचस्प बात यह है की 29 जुलाई को शाह परिवार से मानसी पी शाह ने अपने निजी खाते से सीएम सहायता कोष में 11 लाख रुपये का योगदान किया है। यह सब आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा किए गए खुलासे के बाद सामने आया है।
मिली जानकारी के अनुसार आरटीआई से चौंकाने वाले खुलासे के बाद भाजपा विधायक पराग किशोर शाह ने मनपा से मिलने वाला मानधन अब नहीं लेने का फैसला किया है। इसके लिए उन्होंने मनपा के सचिव को पत्र भी दिया है। आरटीआई के खुलासे के बाद उनके परिवर ने 11 लाख का चेक राज्य के सीएम फंड में दिया है।
मानधान के मुद्दे पर बात करने पर भाजपा विधायक शाह ने कहा की मनपा से मिलने वाले मानधान को बंद कराने के लिए हमने सचिव को पत्र भी दिया है। उन्होंने कहा की इससे पहले सोलापुर क्षेत्र में बाढ़ पीड़ितों के लिए हमने 40 लाख और पुलवामा हमले के दौरान 60 लाख रूपये निजी तौर पर दिया था।
उन्होंने कहा की भविष्य में भी अगर ऐसी कोई त्रासदी हुई तो मेरा द्वार खुला है। शाह ने कहा की नगरसेवक रहते हुए मनपा से जो मानधन हमें मिलता था। हमने यह सोचा की विधायक बनने के बाद वह खुद ब खुद बंद हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसे भी मैं निजी तौर पर मिलने वाले मानधन से अधिक जरूरतमंदों में खर्च कर देता हूं।
गौरतलब है की अनिल गलगली द्वारा दायर आरटीआई में यह भी जानकारी मिली थी कि सांसद मनोज कोटक और विधायक रमेश कोरगांवकर नगरसेवक पद का मानधन नहीं लेते हैं। उपरोक्त मुद्दे पर विधायक दिलीप लांडे से संपर्क करने पर उन्होंने दो टूक जवाब दिया की मानधन का मामला मनपा तय करेगी।
वहीं विधायक रईस शेख ने बताया की दैनिक दबंग दुनिया में उक्त समाचार के प्रकाशित होने से पहले हमने मनपा के महापौर को एक पत्र जारी कर कहा था की यहां से मिलने वाला मानधन सीएम फंड में दे दिया जाए। ताकि बाढ़ पीड़ितों की सहायता किया जा सके। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली (Anil Galgali) ने कहा की यह सूचना के अधिकार 2005 अधिनियम की जीत है।
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