एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित कालिदास रंगालय में पाटलिपुत्र नाट्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के तीसरे दिन 4 फरवरी को नुक्कड़ पर एकजुट खगौल द्वारा काजोल कुमारी एवं श्यामकांत द्वारा लोक गीत एवं नुक्कड़ नाटक ननद भौजाई का मंचन किया गया।
वही कालिदास रंगालय के मुख्य मंच पर पहली प्रस्तुति एक्सपोजर, राँची की प्रस्तुति नाटक कोर्ट मार्शल तथा ड्रामाटर्जी आर्ट्स एंड कल्चरल सोसाइटी, दिल्ली की प्याज के फुल का मंचन किया गया। उक्त जानकारी महोत्सव के मीडिया प्रभारी मनीष महीवाल ने दी।
महीवाल ने बताया कि नाटककार स्वदेश दीपक तथा परिकल्पना व निर्देशन संजय लाल द्वारा प्रस्तुत नाटक कोर्ट मार्शल के कथासार के अनुसार नाटक कोर्ट मार्शल हमारी समकालीन व्यवस्था के प्रति तीखा आक्रोश व्यक्त करती है।
प्रस्तुत नाटक में दलित चेतना उभर कर सामने आई है। नाटक में रामचंदर जो सेना का निम्नवर्गीय जवान है। वह अपने रेजीमेंट के दो अफसरों पर गोली चला देता है। जिसमें एक अफसर की मौत हो जाती है। वहीं दूसरा गंभीर रूप से घायल हो जाता है। इसी अपराध की वजह से रामचंदर का कोर्ट मार्शल किया जाता है।
क्रॉस एग्जामिन के तहत यह सच्चाई सामने आती है कि रामचंदर को यह दोनों ऑफिसर बहुत प्रताड़ित और अपमानित करते थे। रामचंद्र की शिकायत के बावजूद उसे नजर अंदाज कर दिया जाता था। बार-बार इस अत्याचार से प्रताड़ित और अपमानित होने की वजह से अंतत रामचंदर अपना संयम, अपना आपा खो बैठता है और दोनों ऑफिसर पर गोली चल देता है।
इसी तथ्य के आधार पर रामचंदर का कोर्ट मार्शल किया जाता है। कोर्ट मार्शल के दौरान यह देखने को मिलता है कि क्यों और किस परिस्थिति में रामचंदर ने गोली चलाई थी। इतना बड़ा गुनाह करने के लिए आखिर वह क्यों मजबूर हो जाता है। यह जानते हुए कि इस अपराध के लिए उसे फांसी की सजा हो सकती है। बावजूद इसके वह गोली चला देता है। आखिर क्यों?
महीवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक के मंच पर रोशन प्रकाश की भूमिका कर्नल सूरत सिंह, जज एडवोकेट आकाक्षा चौधरी, सलाहकार जज रिया कुमारी, जज शरद प्रगाकर व् विक्की कुमार, मेजर पुरी उपेंद्र कुमार, कैप्टन विकास राय रतन कुमार बने है।
वहीं फौजी रामचंदर सनी देवगन, डॉक्टर गुप्ता किरणमय महतो, कैप्टन बी डी कपूर मोहित यादव, बलवान सिंह सलीब मिंज, लेफ्टिनेंट कर्नल बृजेंद्र रावत सुभाष साहू, सिपाही पवन साहू, व् हर्ष कुमार, गार्ड जगदीश कुमार बने है। जबकि नेपथ्य में प्रकाश संयोजन श्वेतांग सागर, मंच सज्जा शरद प्रभाकर, वेशभूषा सुनीता लाल, पश्वर्य संगीत अवनीश पाठक, ब्रोशर साकत प्रभाकर ने दिया है।
दूसरी प्रस्तुति ड्रामाटर्जी आर्ट्स एंड कल्चरल सोसाइटी, दिल्ली की प्याज के फूल नाटक के नाटककार प्रियम जानी, निर्देशक सुनील चौहान व् साक्षी है। महीवाल के अनुसार प्रस्तुत नाटक प्याज के फूल के कथासार के अनुसार यह एक प्रेम त्रिकोण है। पता नहीं उसमें कौन सही है और कौन गलत?
इसमें कौन अपनी ज़िन्दगी अपनी मर्जी से जी पा रहा है और कौन नहीं। कौन खुशहाल है और कौन नहीं? किसका प्रेम पूर्ण है और किसका नहीं? पर प्रेम तो प्रेम है। इसमें तीसरा कोण आये ही क्यों?
एक स्त्री अपने पति के विवाहेत्तर संबंधों की पड़ताल करती वेश्यालय तक पहुँच जाती है। ज़ाहिर है, इस क्रम में वहां उसका स्वागत तो होता नहीं है। बात बढ़ती है। लड़ाई-झगड़े की स्थिति तक पहुँचती है। सबके अपने-अपने तर्क है और कोई किसी से न सहमत है और न होना चाहता है। उन सब के लिए प्रेम के उनके अपने तर्क, व्याख्या और परिभाषा है। उनकी अपनी जरूरते भी है।
इस द्वन्द और संघर्ष में। लेकिन प्रेम के अनेक कोण से हमारा सामना होता है। निष्कर्ष भले न निकले और निकले तो भले आपके लिए सहमत होने योग्य न हो, पर इस क्रम में स्त्री के नजरिये से पुरुष एक प्याज बन जाता है, जिसका परत दर परत उधेड़ा जाता है। जो कम से कम सर्वप्रिय और सर्वस्वीकार्य तो नहीं ही है।
महीवाल ने बताया कि प्याज के फुल नाटक के मंच पर वेश्या की गौरी गुप्ता, पत्नी की अंकिता, गोविन्द नारायण का आकिंव, नर्तकी की मनीषा शर्मा ने किरदार निभाया है। जबकि नैपथ्य में संगीत निशान्त सिंह, परिकल्पना साक्षी चौहान, प्रकाश सुनील चौहान, प्रस्तुति अभ्युदय मिश्र के है। महीवाल ने बताया कि 5 फरवरी को मुख्य मंच पर त्रिपुरा की प्रस्तुति रंगीन रुमाल और मुंबई की प्रस्तुति कपास के फूल का मंचन होगा।
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