झारखंड में 93.4 प्रतिशत बच्चे मानते हैं वायु प्रदूषण को खतरा

बाल अधिकार सप्ताह के दौरान बच्चे स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए पैदल यात्रा की

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। बच्चों पर वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों और विशेष रूप से सर्दियों के दौरान मृत्यु दर और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि के बारे में चिंतित होकर झारखंड की आर्थिक राजधानी धनबाद के लगभग 300 से अधिक बच्चे स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार की वकालत करते हुए सड़कों पर उतर आए।

बाल अधिकार सप्ताह के उपलक्ष्य में स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार का एक शक्तिशाली संदेश देने के लिए बीते 17 नवंबर की सुबह सैकड़ो बच्चे शांतिपूर्ण सैर के लिए एक साथ धनबाद की सड़को पर आए।

स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार की तलाश में एक अनोखे शो में स्कूली बच्चे, कॉलेजों के युवा और बाल अधिकार आधारित संगठन स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने मौलिक अधिकार की वकालत करते हुए शांतिपूर्ण सैर के लिए सड़कों पर उतरे।

इस पहल का उद्देश्य बच्चों की भलाई के लिए स्वच्छ हवा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ वातावरण में बड़े होने के उनके अधिकार पर जोर देना था।

इन छोटे बच्चों ने वायु गुणवत्ता के मुद्दों के समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए एक प्रतीकात्मक यात्रा शुरू की। इस शांतिपूर्ण पदयात्रा के माध्यम से बच्चों ने बताया कि स्वच्छ हवा तक पहुंच केवल एक विशेषाधिकार नहीं, बल्कि उनका मौलिक अधिकार है। जिसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

जानकारी के अनुसार बीते 17 नवंबर को धनबाद में लगभग 300 से अधिक बच्चे वॉक फॉर क्लीन एयर के लिए एक साथ आए। प्रारंभिक बिंदु स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज महुदा था। जबकि, अंतिम बिंदु महुदा पुलिस स्टेशन था।

धनबाद के स्कूल यथा स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज, रवि महतो स्कूल, डीएवी महुदा और कई अन्य सरकारी स्कूल के बच्चों ने भाग लिया। इसके अलावा निजी स्कूलों के साथ-साथ स्वाभिमान, महुदा महिला एसएचजी जैसे संगठन वॉक फॉर क्लीन एयर का हिस्सा थे।

इस संबंध में स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक विनय जाजू ने कहा कि बच्चों की एक पूरी पीढ़ी ख़तरे में है। बच्चों और युवाओं के साथ हमारे सर्वेक्षण से पता चलता है कि वे वायु प्रदूषण के बारे में गहराई से चिंतित हैं। समाधान हमारे सामने है। बच्चे इसे जानते हैं। जाजू ने कहा कि यह हमारी भावी पीढ़ी के लिए एक साथ आने और स्वस्थ तथा स्वच्छ हवा के उनके अधिकार को सुरक्षित करने का समय है।

जाजू के अनुसार वर्षों से विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि बच्चे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके फेफड़े अविकसित होते हैं और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। फिर भी, दुनिया भर में 10 में से नौ बच्चे सुरक्षित स्तर से अधिक विषाक्त पदार्थों में सांस ले रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों में, स्थिति गंभीर हो गई है। यहां तक कि यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं ने भी भविष्यवाणी की है कि वायु प्रदूषण 2050 तक बाल मृत्यु का प्रमुख कारण बन जाएगा। हालांकि, सभी बच्चों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार होना चाहिए।

ज्ञात हो कि, स्विचऑन फाउंडेशन द्वारा झारखंड में वायु गुणवत्ता के बारे में बच्चों और युवाओं की धारणा पर एक फ्लैश सर्वेक्षण किया गया था। वायु प्रदूषण के बारे में उनकी धारणाओं का आकलन करने के लिए कुल 572 युवाओं के बीच सर्वेक्षण किया गया था।

अध्ययन से पता चला है कि झारखंड के 93.4 प्रतिशत बच्चों और युवाओं ने यह विश्वास व्यक्त किया कि वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा बड़ा खतरा है। यह पाया गया कि युवा आबादी वाहनों और उद्योगों को अपने इलाकों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों के रूप में मानती है, जिसमें 44.4 प्रतिशत ने वाहनों को प्राथमिक कारण बताया।

सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि युवा सक्रिय रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की वकालत कर रहे हैं, जिससे राज्य की वायु प्रदूषण की स्थिति में सीधे तौर पर कमी आएगी।

युवाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य पर्यावरण शिक्षा का समर्थन किया और सरकार से वायु प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इस महत्वपूर्ण रणनीति को अपनाने का आग्रह किया। अधिकांश युवाओं ने पारंपरिक साइकिल और आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों सहित पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को प्राथमिकता देने के लिए सरकार से आग्रह करने के महत्व पर जोर दिया।

इस कार्यक्रम में दिल छू लेने वाले क्षण शामिल थे जब बच्चे, माता-पिता, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों के साथ एकजुटता के साथ एक साथ आए। बच्चे बैनर और तख्तियां लिए थे। जिन पर स्वच्छ हवा और हर बच्चे के शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले वातावरण में रहने के अधिकार की वकालत करने वाले संदेश अंकित थे।

वॉक में भाग लेने वाले एक स्कूली छात्र ने कहा कि, मैंने अपने दोस्तों को सांस फूलने की समस्या से पीड़ित देखा है। मुझे लगातार खांसी और सर्दी रहती है। मैं खेल और बाहर खेलने का आनंद नहीं ले पाता हूं। मुझे प्रदूषण पसंद नहीं है और इसलिए मैं सरकार तथा सरकारी तंत्र से अनुरोध करता हूं कि वे बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कार्रवाई करें।

इस अवसर पर स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज महुदा के प्रधानाचार्य सुनील कुमार ठाकुर ने कहा कि हमारे बच्चे हमारे अस्तित्व का भविष्य हैं। हम वयस्कों की जिम्मेदारी है कि हम वायु प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की उनकी अपील को सुनें। उन्होंने कहा कि स्विचऑन फाउंडेशन के साथ स्वच्छ वायु के लिए पदयात्रा ने छात्रों को स्वच्छ वायु के लिए एकजुट होने में सक्षम बनाया है।

स्वाभिमान की सचिव सुषमा देवी ने कहा कि वायु प्रदूषण इस बात की सबसे स्पष्ट अभिव्यक्तियों में से एक है कि कैसे जलवायु संकट मानवता का दम घोंटने की हद तक गहराता जा रहा है। हम स्वच्छ वायु के लिए अपने बच्चों के आह्वान के लिए उनके साथ खड़े हैं।

 220 total views,  2 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *