एस. पी. सक्सेना/बोकारो। अखिल भारत हिंदू महासभा के झारखंड प्रदेश (Jharkhand Pradesh) उपाध्यक्ष गायत्री तिवारी ने 21 मई को एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि ज्ञानवापी मंदिर का मामला आज का नहीं सदियों पुराना है।
उन्होंने कहा कि मुगल काल के आतताई राजा औरंगजेब ने उक्त मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था, जबकि ज्ञानवापी के अंदर सारे अवशेष सनातन धर्म की ओर इशारा करता है। मंदिर के अंदर के सारे अवशेष सनातन धर्म का प्रतीक है, इसीलिए उनकी नजर में ज्ञानवापी मस्जिद के जगह मंदिर कहना उचित लगता है।
महिला नेत्री तिवारी ने कटाक्ष भरे लहजे में कहा कि मस्जिद की दुहाई देने वाले, काफिरों के बुत परस्ती पर नमाज को जब अल्लाह स्वीकार नहीं करते तो फिर ज्ञानवापी में नमाज क्यों पढ़ी जाती है? ज्ञानवापी का मामला कोर्ट में है। हमें कोर्ट पर भरोसा है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सारे सबूतों को मद्देनजर रखते हुए कोर्ट हिंदुओं के पक्ष में निर्णय लेगी।
जारी विज्ञप्ति में उन्होंने कहा है कि ज्ञानवापी पर राजनीति शुरू हो चुकी है। कुछ तथाकथित हिंदू राजनीतिक दलों के लोग केवल वोट की राजनीति करने के लिए ज्ञानवापी में निकले शिवलिंग को फब्बारा बता रहे हैं। यही हिंदुओं के साथ विडंबना है।
जबकि एक भी मुसलमान भाई औरंगजेब का विरोध नहीं करते। वहीं हजारों लाखों हिंदू अपने ही धर्म और संस्कृति का केवल व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए खिल्ली उड़ाते हैं, जो शर्मनाक है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि गंगा जमुनी तहजीब को अगर जिंदा रखना है, हिंदू मुस्लिम भाईचारे को बरकरार रखना है तो हंसी खुशी से मुस्लिम ज्ञानवापी मंदिर को हिंदुओं के हवाले कर दे, अन्यथा कोर्ट जो निर्णय लेगी उसे मानना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि कोर्ट का निर्णय हिंदुओं के पक्ष में होगा।
केवल ज्ञानवापी मंदिर ही नहीं, मथुरा पर भी हमारा दावा मजबूत बनता है। इसीलिए मथुरा ईदगाह जो अवैध है, उस पर भी अपने उदार नीति दिखाते हुए देश के मुसलमान ईदगाह के जगह को भी हिंदुओं के हवाले कर दे। क्योंकि देश के समस्त लोगों को मालूम है कि औरंगजेब ने अपने शासनकाल में हजारों मंदिरों को तोड़कर मस्जिद निर्माण कराया था।
उस समय देश का हिंदू शक्तिहीन था। आज अपने आवाज को बुलंद कर रहा है। इसीलिए अपने हक और हुकूक के लिए लड़ाई लड़ रहा है। जिसमें अंततः विजय हिंदुओं की ही होगी। इसलिए भारत सरकार (Indian Government) एवं उत्तर प्रदेश सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लें, ताकि देश के हिंदुओं को अपना वाजिब अधिकार मिल सके।
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