प्रहरी संवाददाता/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी एवं पूर्वी सिंहभूम जिला के हद में नक्सल प्रभावित सारंडा जंगल के छोटानागरा थाना क्षेत्र के विभिन्न गांवों व सड़कों के किनारे भाकपा माओवादी नक्सलियों ने 11-12 मई की रात पंचायत चुनाव का बहिष्कार संबंधित पोस्टर लगाया। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने सभी पोस्टरों को उखाड़कर हटा दिया।
सूत्रों का कहना है कि नक्सली मध्य रात्रि को यह पोस्टर लगाए है, जब ग्रामीण सो रहे थे। पोस्टर में कहा गया है कि पंचायत चुनाव में खड़े मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के उम्मीदवार वोट मांगने आएंगे तो उनसे जवाब तलब करें।
नक्सलियों ने पोस्टर में लिखा कि विगत 70 साल से पंचायत चुनाव होते आ रहे है, लेकिन आज तक जनता की एक भी समस्या का हल क्यों नहीं हुआ? पहले उसका जवाब दो, तब वोट मांगो।
नक्सलियों के अनुसार पांचवीं अनुसूची और पेसा कानून आज तक क्यों लागू नहीं हुआ? ग्रामीण क्षेत्रों में पीने का स्वच्छ पानी की व्यवस्था क्यों नहीं हुई? आज भी ग्रामीण जनता गड्ढे, नाले का गंदे पानी पीने को विवश है। इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पंचायत स्तर पर क्यों नहीं है।
ब्लॉक स्तर में भी केवल दिखावा के लिए है, वहां न डॉक्टर आते हैं और न दवा ही उपलब्ध है। कहा गया है कि आजादी के 70 साल बाद भी चिकित्सा की ऐसी दशा क्यों है। शिक्षा के लिए पर्याप्त स्कूल नहीं है। स्कूल है तो शिक्षक नहीं है। किसानों के लिए सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। ना चैक डैम है, ना तालाब है।
खाद-बीज और कीटनाशक दवा की कोई व्यवस्था नहीं है। इस तरह मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के उम्मीदवार को जवाब-तलब करते हुए इसका सही जवाब नहीं देने पर वोट नहीं करने की अपील किया गया है।
माओवादियों द्वारा कहा गया है कि संवैधानिक तौर पर वोट देने का अधिकार है, तो बहिष्कार करने का भी अधिकार है। इसलिए पंचायत चुनाव का सक्रिय रूप से बहिष्कार करें। पंचायत चुनाव में एक भी वोट ना पड़े, इसकी गारंटी करें।
डियंग (हड़िया), शराब पिलाकर वोट दिलाने वाले बिचौलिया और दलाल के बहकावे में नहीं आए। बिचौलिया और दलाल को पकड़कर जूता का माला और चूना का टिका लगाकर जुलूस में घुमाएं।
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