बेनीपुरी रचित विजयनी अंबपाली नाटक का मंचन

गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। शब्दों के जादूगर रामबृक्ष बेनीपुरी रचित विजयनी अंबपाली नाटक का जीवंत प्रस्तुतिकरण निर्माण रंगमंच हाजीपुर के कलाकारों (Artist of Hajipur) ने क्षितिज प्रकाश के निर्देशन में बीते 27 दिसंबर की रात्रि गांधी स्मारक पुस्तकालय हाजीपुर के जगदीशचन्द्र माथुर मंच से किया।

नाट्य प्रस्तुति कार्यक्रम (Program) का शुभारंभ महुआ विधायक डॉ मुकेश रौशन (MLA Dr Mukesh Roushan) ने दीप प्रज्वलित कर किया। नाटक में विज्जि संघ की राजनर्तकी अंबपाली के संघर्षों के सजीव चित्रण कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुत नाटक में दिखाया गया कि राजनर्तकी अंबपाली एक अपूर्व लावण्य के साथ अपनी विद्वता के साथ अपनी चतुरता के लिए जानी जाती थी।

विश्व की प्राचीनतम गणतंत्र वैशाली के साथ महात्मा बुद्ध के जुड़ाव का भी नाटक के माध्यम से चित्रण प्रस्तुत किया गया। मगध सम्राट अजातशत्रु ने सिर्फ राजनर्तकी अंबपाली की सुंदरता की चर्चा सुनकर उसे अपनी रानी बनाने के लिय वैशाली पर आक्रमण किया।

अंबपाली ने एक सैनिक के रूप में वज्जि संघ की सेना का नेतृत्व किया। युध्य में पराजय के बाद भी मगध पति अजातशत्रु अंबपाली के वाक्य चतुरता से पराजित होकर मगध लौट गया।

नाटक में दिखाया गया कि महात्मा बुद्ध अपने वैशाली आगमन पर अंबपाली के नन्दन कानन में अपना डेरा डाला और सात दिन सात रात महात्मा बुद्ध से सस्त्रार्थ के बाद अंबपाली ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया और बौद्ध भिक्षुणी बन गई। नाटक प्रस्तुतिकरण में रंगमंच के सभी कलाकारों ने अपनी अपनी भूमिका को जीवंत कर दर्शकों का मन मोह लिया।

 

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